Sunday 18 October 2015

यादें.. - Memories

यादें.. - Memories


यादें.. जो याद आती है...

आज शाम को जब ऑफिस से घर के लिए निकला तो रास्ते में यातायात जाम था । गाड़ियों की एक लंबी कतार सड़क पर दूर तक लगी थी ।
समय व्यतीत करने के लिए मेरे चालक ने रेडियो चालु किया । संयोग से उस समय एफ एम पर हिंदी गीतों का वक्त था ।

यहां मैं आपको बताना चाहूँगा कि मैं अफ्रीका के देश नाइजीरिया मेँ रहता हुं और काफी संख्या में नाइजीरियन लोग हिंदी सिनेमा और हिंदी गानों को पसंद करते हैँ, सुनते हैँ।

बोल समझ में आये न आये पर गुनगुनाते भी हैँ । इसलिए एफ एम पर हिंदी गीतों का कार्यक्रम भी आता है, जो उस वक्त भी चल रहा था और उसमें ए आर रहमान का गीत "वंदे मातरम्" बज रहा था । देशभक्ति का गीत था तो जाहिर सी बात है अपना देश याद आना ही था और अपने वतन की यादें भूल भी कैसे सकते हैं । वो तो हर पल हर घड़ी याद आता रहता है।
तब मुझे देश के एक बहुत बड़े राष्ट्रकवि डॉक्टर कुमार विश्वास जी की कविता याद आई जो मुझे काफी पसंद है और मुझे विश्वास है की आपको भी ये कविता पसंद आएगी । आप सबके लिए वो मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूं ।

"हर एक खोने हर एक पाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है

हर एक खाली पड़े आलिन्द तेरी याद आती है
सुबह के ख्वाब के मानिंद तेरी याद आती है
हेलो, हे, हाय! सुन के तो नहीं आती मगर हमसे
कोई कहता है जब “जय हिंद” तेरी याद आती है

कोई देखे जनम पत्री तो तेरी याद आती है
कोई व्रत रख ले सावित्री तो तेरी याद आती है
अचानक मुश्किलों में हाथ जोड़े आँख मूंदे जब
कोई गाता हो गायत्री तो तेरी याद
आती है

सुझाये माँ जो मुहूर्त तो तेरी याद आती है
हँसे जब बुद्ध की मूरत तो तेरी याद आती है
कहीं डॉलर के पीछे छिप गए भारत के नोटों पर
दिखे गाँधी की जो सूरत तो तेरी याद आती है

अगर मौसम हो मनभावन तो तेरी याद आती है
झरे मेघों से गर सावन तो तेरी याद आती है
कहीं रहमान की जय हो को सुन कर गर्व के आंसू
करें आँखों को जब पावन तो तेरी याद आती है।"

डॉक्टर कुमार विश्वास जी को इस सूंदर रचना के लिए मैं अपने अंतःकरण से बधाई देना चाहूंगा । और आपसे जल्दी ही मुलाकात के वादे के साथ अभी के लिए विदा चाहूंगा ।

जय हिन्द

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