Friday 30 October 2015

मौत का भय - The Fear of Death



मौत का भय - The Fear of Death

जयपुर रेलवे स्टेशन पर बैठा मैं अपनी गाड़ी का इंतज़ार कर रहा था । गाड़ी आने में अभी वक्त था इसलिए मैने समय काटने के इरादे से एक अखबार ख़रीदा और एक खाली बेंच पर आके बैठ गया ।

तभी एक करीब 11-12 साल का बच्चा आया और बोला "बाबूजी बूटों को पॉलिस करदूँ, शीशे की तरह चमका दूंगा"।

जूतों पर धुल जमी थी सो मैंने कहा "करदो, कितने पैसे लोगे"।

"बस बाबूजी पांच रुपये"

"ठीक है करदो" सुनते ही उसका चेहरा चमक उठा और उत्साह के साथ बैठ कर वो पॉलिश करने में तल्लीन हो गया। मैंने फिर अखबार में आँखे गड़ा दी ।

वही रोज वाली ख़बरें ही थी । हत्या, डकैती, जायदाद को लेकर भाइयों के झगड़े । प्रेमी युगल घर से भागा । इत्यादि इत्यादि । मैंने बोर होकर अखबार एक और रखा और उस लड़के से मुखातिब हुआ । वो जूतों को पॉलिश कर चूका था और रेशमी कपड़े से घिस कर उन्हें चमका रहा था ।

"इस उम्र में तुम काम कर रहे हो, स्कूल नहीं जाते? तुम्हारे पिताजी तुम्हे रोकते नहीं?" मैंने यूँ ही पूछ लिया।


"स्कूल तो जाता हूँ बाबूजी, शाम को काम करके माँ को थोड़ा सहारा दे देता हूँ, और पिताजी होंगे तो रोकेंगे ना बाबूजी, पिछले साल सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गयी थी।" कहते कहते उसकी आँखे थोड़ी नम हो गयी थी ।

"ओह, क्षमा करना बच्चे, मैंने अनजाने में तुम्हारा दिल दुखा दिया।" मैंने उसके पैसे उसे देते हुए कहा ।

"कोई बात नहीं बाबूजी, ये तो नियति का खेल है, जो आया है उसे एक ना एक दिन तो किसी बहाने से ईश्वर के पास जाना ही है । अमर कोई नहीं है । मौत सबको आनी है बाबूजी और आती है । पिताजी चले गए, मैं भी चला जाऊंगा एक दिन, मगर जब तक हूँ तब तक तो मैं अपने और अपने परिवार के लिए जो कर सकता हूँ वो करूँ।  ठीक है बाबूजी, आपकी ट्रेन आ रही है। नमस्ते"

एक छोटे से बच्चे ने कितनी बड़ी बात सहजता से कह डाली थी । "मौत सबको आनी है" । सत्य है । मौत से कौन बचा है, बड़े बड़े सुरमा चले गए जिनकी एक हुंकार से जमाना डरा करता था ।

हम सब जानते है इसका सामना एक दिन हमें भी करना है । मगर इस सच्चाई को स्वीकार करने की बजाय हम इस से भागना चाहते हैं, बचना चाहते हैं। देखा जाए तो मौत के भय से हम मर मर के जी रहे हैं। डरते है पता नहीं कब मौत आ जाए। इसी कशमकश में जिंदगी निकल जाती है और हम हाथ मलते रह जाते हैं।

भाई मौत तो आएगी तब आएगी,  जब वो आएगी तब देखा जाएगा । अभी तो हम में जीवन है, अभी जो पल है हाथ में उनको जी भर कर जिओ, उनका भरपूर आनंद उठाओ । खुद खुश रहो औरों में खुशियां बांटो, फिर देखो मौत का भय हमसे कोसों दूर भाग जाएगा । चारों और जीवन ही जीवन नजर आएगा ।

आज बस इतना ही । आपसे कल फिर मिलने के वादे के साथ विदा लेता हूँ। जय हिन्द

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....शिव शर्मा की कलम से....









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