Thursday 19 November 2015

आ जाओ भैया - Aa jao Bhaiya



आ जाओ भैया - Aa Jao Bhaiya, Please come brother

मायके से बहुत दूर शहर में अपने ससुराल में रहती एक बहन की पुकार अपने उस इकलौते भाई को, जो घर की जिम्मेदारियों और समय की कमी के कारण वर्षों से उस से मिलने नहीं आ पाया ।



"आ जाओ भैया"

बहन को ना कोई तोहफा
ना कोई उपहार चाहिए
बहुत दिन हो गए तुमसे मिले
भाई तेरा दीदार चाहिए

चाह नहीं सोने के गहनों की
ना मोह चांदी की पायल का
ख्वाहिश नहीं मेरी कोई गाड़ी की
ना शौक मुझे मोबाइल का

बस तुम्हें देखलु भैया तो
सारी दौलत मिल जायेगी
भाभी के साथ भतीजे को देख
दिल की बगिया खिल जायेगी

भांजे तुम्हारे बरसों से
ननिहाल को याद कर रहे हैं
मामा कब लेने आएंगे माँ
पल पल फ़रियाद कर रहे हैं

मुझे भी तो माँ की याद
हर पल सता रही है
बरसों पहले जो मनाई थी साथ
वो दीवाली याद आ रही है

व्हाट्सएप्प की बातों से
अब मन नहीं भरता है
साथ बैठ कर हंसने बोलने
खिलखिलाने का दिल करता है

जानती हूँ तेरे कन्धों पर
घर की जिम्मेदारी है
पर उसी घर का एक हिस्सा
ये बहन भी तुम्हारी है

जिस की हर एक सांस
ये पुकार कर रही है
आ जाओ भैया मिलने
कि बहन इंतज़ार कर रही है।।

Please click here to read नाम अगर रख दें कुछ भी by Sri Pradeep Mane


लेखक : प्रदीप माने "आभास"


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