Friday 13 November 2015

मां, एक पूरी दुनिया - Maa Ek Puri Duniya



मां, एक पूरी दुनिया - Mother, the complete world.

मां, बोलने भर से पूरा मुंह भर जाता है । सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ रचना । संसार को ईश्वर की एक अनमोल देन मां । कहते हैं भगवान हर समय सब जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने मां बनाई । ममता का छलछलाता सागर । पूरी धरा पर एक ऐसा पावन रिश्ता जिसमें कोई छल नहीं होता ।

बचपन में एक कहानी सुनी थी कि एक लड़का किसी लड़की के एकतरफा प्रेम में पड़ जाता है । लड़की भी उस से पीछा छुड़ाने के इरादे से उसके प्रेम को स्वीकारने की ये शर्त रखती है कि अगर वो लड़का अपनी मां का दिल निकाल के उसे तोहफे में दे तो ही वो उसके प्रेम निवेदन को स्विकारेगी । शायद उस लड़की की सोच थी की कोई भी बेटा ऐसा थोड़े ही करेगा ।

मां, एक पूरी दुनिया


लेकिन वो लड़का, प्रेम में अंधा, ये बिना जाने कि लड़की उसका मख़ौल उड़ा रही थी, अपनी मां का दिल निकाल ही लाया । ख़यालों में गुम तेज क़दमों से चलता और अपनी प्रेमिका के सपने देखता जब उसके घर की तरफ वापस जा रहा था तो अचानक ठोकर लगी और वो गिर गया साथ ही मां का दिल भी । उसके गिरने पर उसी मां के दिल से, जिसके सीने से अभी अभी वो दिल निकाल लाया था, उसी लहूलुहान दिल से आवाज आई
"संभल के बेटा, तुम्हें चोट तो नहीं लगी ना?"

ये तो महज़ एक कहानी थी, जो ये दर्शाती है की कितना बड़ा होता है एक मां का दिल । संतान चाहे जैसी भी हो, मां का दिल सदैव उसकी भलाई की ही कामना करता है । अगर उसका बच्चा अन्य दूसरे बच्चों की तुलना में सूंदर या होनहार नहीं भी है, तो भी एक मां के स्नेह में कोई कमी नहीं आती है ।

एक अन्य कहानी में किसी मां ने अपने बच्चे की पाठशाला द्वारा भेजा वो पत्र छुपा लिया था, जिसमें लिखा था की आपका बच्चा मंदबुद्धि है, इसे हम अपनी स्कूल में नहीं रख सकते ।

बच्चे के पूछने पर वो बच्चे को संतुष्ट करने हेतु बताती है कि, पत्र में लिखा है आपका बच्चा बहुत होशियार है, और हमारी स्कूल बहुत छोटी, इसलिए इसे दूसरे स्कूल में भर्ती करवाइये जहां इसके जैसे होनहार बच्चे पढ़ते हों ।

बाद में वो लड़का बहुत रूचि और मेहनत से पढ़कर लिखकर बड़ा अफसर बन जाता है, तब उसके हाथ एक दिन वो पत्र आता है, और जब उसमे लिखे शब्द पढता है, तो अपनी मां के प्रति उसकी श्रद्धा और भी बढ़ जाती है ।



इस कहानी का सार ये है की अगर वो मां उस दिन उस बच्चे को पत्र में लिखी बात बता देती, तो शायद उस बालमन पर उसका बहुत उल्टा असर होता, और हो सकता है उसे पढाई से भी चिढ़ हो जाती । मगर उस समझदार मां ने बच्चे को इस तरह एक मनघडंत मगर सकारात्मक बात बताई कि बच्चे का मनोबल बढ़ा, और वो प्रगति के शिखर चढ़ता गया ।

मां, एक पूरी दुनिया


एक नारी मां शब्द सुनने के लिए सब कुछ दांव पर लगा देती है । वो जानती है, संतान को जन्म देना उसके लिए भी पुनर्जन्म जैसा होगा । फिर भी कोई उसे मां कहके पुकारे इसके लिए हर दर्द सह जाती है । विधाता ने भी कैसा संयोग बिठाया है कि बच्चा अपना पहला शब्द भी मां ही बोलता है ।

एक छोटा सा, एक अक्षर का शब्द है "मां" लेकिन आज तक इसके विस्तार रूप को कोई नहीं बाँध पाया । बच्चे के जन्म से लेकर अपनी आखरी सांस तक वो अपने बच्चों की ख़ुशी में खुश, उनकी तकलीफ में परेशान, और बच्चों की हर छोटी बड़ी कामयाबी पर गौरवान्वित नजर आती है ।

मां का गुस्सा भी क्षणिक ही होता है । अक्सर तो वो इसे पी जाती है । फिर भी अगर कभी किसी कारणवश बहुत गुस्सा हो तो वो गुस्सा भी ममता मिश्रित होता है । मुझे मुनव्वर राणा जी की एक शायरी याद आ रही है । राणा जी ने मां विषय पर बहुत कुछ लिखा है, और इस शायरी में तो बहुत सूंदर अभिव्यक्ति की है उन्होंने मां के स्नेह वाले गुस्से की, कि



"इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है"

बच्चे मां के आँचल तले अपने आपको पूर्ण सुरक्षित महसूस करते हैं । कोई गलती हो जाए और पिता का डर सताता है तो मां से ही अपेक्षा करते हैं पिता के क्रोध से बचाने की ।

मां, एक पूरी दुनिया


बच्चे तो बच्चे, बड़े भी आखरी दम तक मां को नहीँ भूलते । कोई भी तरह की पीड़ा हो, मां का नाम जिव्हा पर आ ही जाता है। पैर में कांटा चुभ गया हो, मुंह से "उई मां" शब्द निकलेगा । स्वास्थ्य ख़राब है, बुखार हो गयी, बिस्तर पे लेटे लेटे "ओह मां, ओह मां" की ध्वनि निकलती रहती है ।

"मां" पर कई महान लेखकों ने बहुत कुछ लिखा है, मगर अभी भी लगता है जैसे इस शब्द की व्याख्या पूर्णरूपेण नहीं हो पायी है, और हो पायेगी भी नहीं । क्योंकि मां की ममता का कोई और छोर नहीं है, कोई सीमायें नहीं है, ये तो अनंत है । किस्मत के धनी होते हैं वे लोग जिनके पास मां होती है ।

अंत में मुनव्वर राणा जी का ही एक शेर और कह कर आपसे विदा चाहूंगा ।

"ऐ अंधेरे देख ले, मुंह तेरा काला हो गया,
माँ ने आंखें खोल दीं घर में उजाला हो गया"

मां, एक पूरी दुनिया

Click here to read बेटियां - Daughters a beautiful blog on daughters.

कल फिर मिलते हैं मित्रों । जय हिन्द

...शिव शर्मा की कलम से"







आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।.  Email : onlineprds@gmail.com

धन्यवाद

Note : Images and videos published in this Blog is not owned by us.  We do not hold the copyright.

3 comments:

  1. बहुत ही सही वर्णन किया है आपके लेख ने माँ की महिमा का। पर आजकल की युवा पीढ़ी को ये सब समझ में आये तो कहना ही क्या। धन्यवाद।

    ReplyDelete