Monday 9 November 2015

कहानीयों की कहानी - Story of Stories, Stories Stories Stories and Stories



कहानीयों की कहानी - Story of Stories

कहानियों से हमारा रिश्ता बचपन से ही होता है । शायद ही कोई बंदा हो जिसने माँ, दादी या नानी से कहानी ना सुनी हो ।

एक राजा था । उसके राज्य में प्रजा बहुत सुखी थी । या आसमान में एक सोनल परी रहती थी । इत्यादि इत्यादि । और कहानी सुनते सुनते हमारा बालमन कल्पनाओं की उड़ान लेने लगता था । फिर कब नींद आ जाती, पता ही नहीं चला करता था । जब तक थोड़ी बहुत समझ नहीं आती थी तब तक निगाहें अक्सर आसमान में सोनल परी को ढूंढती ही रहती थी ।

कहानीयों की कहानी
Story of Stories

समय बदला तो कहानियों का रूप भी बदल गया और बच्चों की पसंद भी । हालांकि शुरुआत उन्ही राजा रानी और परियों की कहानियों से होती है लेकिन कुछ ही दिनों में बच्चे इन कहानियों को सुनने की बजाय टी वी पर कार्टून नेटवर्क देखने को प्राथमिकता देने लगते हैं ।

नाम एक ही है, कहानी, मगर इसके प्रकार अनेकों होते हैं । जरुरत और परिस्तिथि अनुसार ।बच्चों की कहानियां अलग प्रकार की होती थी, जिन्हें बच्चे सुनने की जिद किया करते थे । जिनमें शनैः शनैः काफी बदलाव भी हो गया।

परंतु बड़ों की कहानियां आज भी तुरंत बन जाती है । कोई सुनना चाहे या ना चाहे, पर सुनाते जरूर है, जरुरत और परिस्थिति के मद्देनजर थोड़े से शब्दों और स्थान की फेरबदल जरुरु हो सकती है मगर उन कहानियों की रूपरेखा लगभग एक सी ही होती है । उद्देश्य भी एक ही होता है, सुनने वाले को सफाई देना, बस।

जैसे शाम को पति महोदय जब दोस्तों के साथ बैठ जाते हैं और फिर शाम को देर से घर आते हैं तो पत्नी को सुनाने के लिए कोई न कोई कहानी गढ़ लेते है, पुरानी कहानियों से भी कुछ प्रेरणा लेकर, और थोड़े आधुनिक तथ्य मिलाकर।

कहानीयों की कहानी
Story of Stories

 "क्या बताऊँ प्रिये, आज एक बहुत ही जरुरी काम से ऑफिस (पुराने समय में दूकान) में कुछ बड़ी पार्टियों के साथ मीटिंग थी, जल्दी करते करते भी देरी हो ही गयी, खाना भी ऑफिस में ही था ना। मोबाइल भी बंद करना पड़ा ताकि मीटिंग में खलल ना पड़े, और बाद में उसे चालु करना ही भूल गया।" इससे पहले की पत्नी पूछे वो पहले ही सफाई दे देते हैं ।

पत्नी को हालाँकि पहले से ही जानकारी होती है, क्योंकि पतिदेव की ऐसी मीटिंग प्रायः हर महीने में एक दो बार होती ही रहती है । तभी तो कई पत्नियां पहले ही पूछ लेती है, आज कौनसी नई कहानी सुनाओगे?

ऑफिस पहुँचने में देर हो जाये तो अनेकों कहानियां उपलब्ध है । मगर सर्वश्रेष्ठ कहानी ये ही होती है। "सर जैसे ही घर से निकल रहा था अचानक पेट में दर्द सा हुआ, फिर से शौचालय गया तो थोड़ा आराम आया और नमक अजवायन की फाँकी ली तब जा के ऑफिस आने लायक हुआ।" जैसे अगर वो आज ऑफिस ना आते तो दुनिया इधर की उधर हो जाती ।



मेरे विचारानुसार हर कहानी किसी ना किसी के जीवन से जुड़ीं हुई जरूर होती है । हालांकि कहानीकार उस कहानी को अपने विचारों के समंदर में गोते लगाकर निकालकर लाता है, लेकिन अगर आप दिमाग पर जोर डालकर, किसी भी कहानी के बारे में सोचें तो आप पाएंगे की लगभग ऐसी ही परिस्तिथियां फलां फलां व्यक्ति के साथ घट चुकी है । यानि कुछ ना कुछ घटित होता है तभी एक कहानी बनती है । मेरी भी एक कहानी है, आपकी भी अवश्य होगी ।

कहानीयों की कहानी
Story of Stories

वैसे बहुत सी कहानियां प्रेरणादायक होती है । उन हर कहानी से हमें कुछ ना कुछ सिखने को मिलता है । और बहुत सी बातें हम सीखते भी हैं । महाभारत काल में भी अर्जुन जब सुभद्रा को नींद नहीं आने पर चक्रव्यूह भेदन की कहानी सुना रहे थे तब अभिमन्यु गर्भ में ही चक्रव्यूह तोड़ने की कला सीख गए थे ।

इन्ही कहानियों में से एक प्रकार की कहानी और निकलती है, फिल्मों की कहानी। आपने देखा होगा बहुत सी फिल्मों की कहानियां लगभग एक जैसी ही होती है । सर्वाधिक उपयोग में आने वाली कहानी ये होती है । "गरीब घर का नायक और अमीर घर की नायिका या इसका उल्टा । दोनों में प्रेम हो जाना और बाद में अनेकों बाधाओं के बावजूद दोनों का विवाह ।" इसके अलावा चोर पुलिस, भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी इत्यादि विषय । कुछ फ़िल्म हास्य कहानियों पर भी आधारित होती है,  सिर्फ किरदार, स्थान, परिस्तिथियां और उस फ़िल्म का प्रस्तुतीकरण बदलता है, कहानीयां वही होती है । क्योंकि हमारे आसपास लगभग वैसी ही घटनाएं घटती रहती है ।

हर कोई हर किसी को कुछ न कुछ कहानी सूना रहा है । इन सबको देखते हुए मैं भी एक कहानी लिखने की सोच रहा हूं । क्या पता किसी फिल्मकार को मेरी वो कहानी पसंद आ जाये और वो कोई फ़िल्म ही बना डाले उस पर । आप सबकी क्या राय है । बताएं जरूर ।

कल फिर मिलते हैं तब तक के लिए आप भी कोई कहानी लिख डालिये । नमस्कार मित्रों ।

कहानीयों की कहानी
Story of Stories

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जय हिन्द

...शिव शर्मा की कलम से...








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धन्यवाद

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2 comments:

  1. अद्भुत लेख।मन प्रसन्न हो गया।

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