Wednesday 23 December 2015

दिल की बस्ती - Dil ki Basti

दिल की बस्ती - Dil ki Basti


व्यस्तता की वजह से कल कुछ नहीं लिख पाया था । आज भी दफ्तर से घर आते आते समय काफी हो गया था, इसलिए सोच तो रहा था कि कोई लघु कथा लिख दुं । या कोई दो चार छोटी छोटी शायरियां लिख लुं । ताकि लेखन का लेखन और आप सबसे मुलाकात, दोनों काम हो जाए ।

मन बनाया कुछ शायरी जैसा लिखने को लेकिन जब लिखना शुरू किया तो बस लिखता चला गया और शायरी ने एक ग़ज़ल जैसा रूप ले लिया ।

अब आपको ये कितनी पसंद आएगी ये तो मैं नहीं जानता । परंतु मुझे पता नहीं क्यूं ऐसा लग रहा है कि आप इसे जरूर पसंद करेंगे । अपने विचार अवश्य बताएं ।



     
         "दिल की बस्ती"
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बनती हुई बात, बिगड़ने ना देना
नफरतों को दिल, जकड़ने ना देना
बड़ी मुश्किल से बसती है मुद्दतों बाद
दिल की बस्ती, उजड़ने ना देना

पिरो के रखे हैं जो यादों के धागे से
मुहब्बत के मोती, बिखरने ना देना
जुदाई के पलों में लिखे थे हर रोज
चूहों को वो ख़त, कुतरने ना देना

वो लोग जो घोलते हैं रिश्तों में जहर
उन्हें पास अपने, फटकने ना देना
गफलत में आ के भूले से भी कभी
प्रेम का शीशा, चटकने ना देना

कभी घिर जाओ मुश्किलों में अगर
दीवार हौसले की, ढहकने ना देना
कामयाबी के नशे में हो के मगरूर
क़दमों को अपने, बहकने ना देना

तनहाई में देगा सूकून की थपकी
यादों का मौसम, गुजरने ना देना
नासूर बन जो दे टीस जिगर को
ऐसे जख्मों को, उभरने ना देना

भरनी है उड़ान ऊँचे आसमानों पर
सपनों के पंख, सिकुड़ने ना देना
जिंदगी है इम्तेहां लेती ही रहती है
घबराहट का डर, पनपने ना देना

चलते रहो तो मिलेगी मंजिले भी
बढ़ते क़दमों को शिव ठहरने ना देना
छोटी सी जिंदगी है जी भर के जियो
मायूसियों के पैर पसरने ना देना ।।

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दिल के जज्बातों को शब्दों का रूप दे कर कागज़ पे उतारा है दोस्तों । अब मुकदमा आपकी अदालत में है । कैद या रिहाई, जो देंगे कबूल है ।

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कल फिर मुलाकात होगी ।

जय हिन्द

*शिव शर्मा की कलम से*








आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।.  Email : onlineprds@gmail.com

धन्यवाद

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8 comments:

  1. बहुत खूब भाईसाब।
    इत्तेफाक से जो बना ह रिश्ता
    इसपे धुल कभी न जमने देना
    उम्र की सीमाओं से पर जो बनाया ह आपने दोस्ताना
    उसे समय की गर्त में न जाने देना
    कहे महावीर इस दिल की से
    अपने प्यार को ज़माने की नजर न लगने देना

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    1. रिश्तों पे कोई धुल जमने ना देंगे
      महावीर को अब दिल से निकलने ना देंगे

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  2. Replies
    1. आपको ह्रदय से धन्यवाद

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  3. Replies
    1. मस्त रहो मस्ती में
      बस जाओ दिल की बस्ती में

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    2. This comment has been removed by the author.

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  4. आप सभी का आभार

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