Monday 7 December 2015

शायराना अंदाज - shayarana andaz


शायराना अंदाज


देखते देखते पचास ब्लॉग लिख डाले । मैंने कभी सोचा ना था कि मैं इतना कुछ भी लिख सकता हुं । ये सब आप सबके प्रेम और स्नेह की बदौलत ही मुनासिब हो पाया ।

आगे भी ये मुहब्बत मुझपे लुटाते रहना
मैं तनहा ना हो जाऊं तुम बुलाते रहना ।

जी हां, आप सही समझे । कहां हिंदी से सीधे उर्दू के लफ्ज़ । आज मेरा मन भी कुछ गजल जैसी चीज लिखने को हो रहा है । और फिर हिंदी की मौसेरी बहन उर्दू जब साथ में मिल जाए तो अंदाज शायराना हो ही जाता है ।

बड़े बड़े शायरों की शायरी या ग़ज़ल जब हम पढ़ते सुनते हैं, तो उनका एक एक शब्द दिल में उतर जाता है । वे लोग लिखते ही हैं अपना दिल निचोड़कर । उन सबको मेरा प्रणाम ।

मैं कोई इतना बड़ा शायर तो नहीं हुं, फिर भी एक कोशिश कर रहा हुं, हिंदी उर्दू मिलाकर एक ग़ज़ल लिखने की । मैं जानता हुं, अगर ये ग़ज़ल आपको अच्छी लगेगी तो आप मेरी हौसलाआफजाई जरूर करेंगे ।

तो आपकी अदालत में अपनी लिखी ग़ज़ल पेश करने का दुस्साहस कर रहा हुं । इसमें जो भी त्रुटियां है मुझे बताएं ताकि फिर कभी अगर दिल शायराना हुआ तो उनको ना दोहराऊं ।


"जरा ठहर, सब्र कर, तत्काल ना पूछ,
ऐ जिंदगी, तू इतने सवाल ना पूछ,

जैसे भी हैं, अच्छे हैं, पसंद है मुझे
उनके बारे में मेरे ख़याल ना पूछ,

उनकी जुल्फें तौबा, अदाएं लाजवाब
कुदरत ने बनाया है, बेमिसाल ना पूछ,

खिल उठता है दिल, उनके आ जाने से
ना आने से जो होता है, वो मलाल ना पूछ,

माना की डरपोक हुं, पर ना जाने कैसे
उनको देखने की हो जाती है, मजाल ना पूछ,

कल शाम महफ़िल में चर्चे हुए उनके
फिर कितना हुआ, बवाल ना पूछ,

जाने कितने लुट गए, फंस के भंवर में
उन कजरारी आँखों का, कमाल ना पूछ,

कातिल आँखे, वो नाजुक सा बदन
इस खूबसूरती की, मिसाल ना पूछ,

वो चले गए, अचानक छोड़ कर,
कैसे बीता, वो पूरा साल ना पूछ,

पंगा ना लेना, इश्क वालों से 'शिव'
क्या क्या हो जाएगा, जंजाल ना पूछ ।

ऐ जिंदगी, तू इतने सवाल ना पूछ
जरा ठहर, सब्र कर, तत्काल ना पूछ"


अंत में फिर आप सबका तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हुं, और कल फिर मिलने के लिए आज आपसे विदा लेता हुं ।

जिंदगी के सफ़र में यारों, अंधेरे भी मिलेंगे,
बस मुहब्बत के चिरागों को जलाये रखना ।

Click here to read "यादें.. - Memories"  by Sri Shiv Sharma

जय हिन्द

...शिव शर्मा की कलम से...

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