Thursday 18 February 2016

Bharti ke Baagi

भारती के बागी Bharti ke Baagi



भारती जी का भरा पूरा परिवार था । जहां सब लोग मिलजुल कर रहते थे । परिवार के सदस्यों में कभी अनबन भी हो जाया करती थी लेकिन कुछ अमन पसंद लोगों द्वारा बीच बचाव करने पर मामला सुलझ जाया करता था ।

ऐसा नहीं था कि उस परिवार में कोई मनमुटाव थे । दरअसल कुछ पड़ोसियों की आँखों में वो परिवार खटकता था और वे परिवार के कुछ बेवकूफ सदस्यों का "इस्तेमाल" करते रहते थे, उन्हें आपस में एक दूसरे से लड़ाने के लिए ।

क्योंकि पडोसी जानते थे कि ये परिवार दिन बी दिन सुदृढ़ होता जा रहा है । अगर ऐसा ही रहा तो उन्हें लगता था कि बिरादरी में उनकी पूछ कम हो जायेगी । बस अपनी थोथी शान के चक्कर में वे भारती जी के घर में फुट डालते रहते थे ।

कुछ पड़ोसियों की नजर तो भारती जी की जमीन पर भी थी । हालांकि जब एक बार भारती जी की संपत्ति का बटवारा हुआ था तो उन्हें उनका हिस्सा दे दिया गया था, फिर भी वे अपनी गिद्ध दृष्टि भारती जी की जमीन पर गड़ाये हुए थे और उसके लिए वे तरह तरह के हथकंडे अपनाते रहते थे जिसमें भारती परिवार को किसी भी तरह छिन्न भिन्न करने का प्रयास भी शामिल था ।

यदा कदा काफी हद तक ये शैतान पड़ोसी  इसमें सफल भी हो जाया करते थे, परंतु भारती जी के पास उनकी रक्षा हेतु बहुत से उनके बहुत से वफादार सेवक थे जो उन्हें हर मुसीबत से बचा लाते थे, और वे पड़ोसी भारती जी का बाल भी बांका नहीं कर पाते थे । हर बार अपनी हार से वो और तिलमिला जाते थे, बौखला जाते थे और दूसरी साज़िशें रचने लगते थे ।



लेकिन अभी भारती जी पर एक और मुसीबत मंडरा रही है, उनके परिवार के कुछ सदस्य विद्रोही भाषा बोल रहे है । पता नहीं क्यों पर पड़ोसियों की भी जय जयकार कर रहे है । वे सदस्य अपना हिस्सा मांग रहे हैं जिन्होंने इस परिवार की भलाई के लिए आज तक शायद ही अपना कोई योगदान दिया है ।

अब देखना ये है कि भारती जी उन सदस्यों को कैसे रास्ते पर लाते हैं । परिवार के बहुत सारे लोग भारती जी के साथ खड़े हैं, जबकि इस वक्त जिन चचेरे ममेरे रिश्तेदारों को भारती जी के साथ खड़ा होना चाहिए वे लोग अपने जाति फायदे के लिए बागी सदस्यों का समर्थन कर रहे हैं, इन्हें शह दे रहे हैं ।

कोई कुछ भी कहे, कुछ भी करे लेकिन हम जानते हैं कि भारती जी के रक्षक, उन पर जान तक कुर्बान करने को तैयार उनके सेवक, उन बागियों को अच्छा सबक सिखाएंगे और भारती जी हमेशा की तरह सीना ताने अपनी मूंछों पर ताव देते नजर आएंगे ।

Click here to read "सहनशीलता की हद - Sahanshilta ki hadd" by Sri Shiv Sharma


जय हिन्द

****शिव शर्मा की कलम से****








आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।.  Email : onlineprds@gmail.com

धन्यवाद

Note : Images and videos published in this Blog is not owned by us.  We do not hold the copyright.

1 comment: