Wednesday 22 June 2016

Ehsaas Tera - एहसास तेरा

Ehsaas Tera - एहसास तेरा


लाजवाब हुस्न उनका तारीफ़ के काबिल है,
लिख दूं दो लफ्ज भी तो बन जाती गज़ल है,

तन पाया सोने जैसा रेशम रेशम बाल है,
होंठ जैसे चमन में खिले खिले से कँवल है,

उस चेहरे के नूर से है रोशन हर सुबह मेरी,
रात युं लगे जैसे उन आँखों का काजल है,

बिजलीयां गिराती है हर अदाएं उनकी,
लहराता दुपट्टा लगे जैसे कोई बादल है,  
Ehsaas Tera - एहसास तेरा

शहद से मीठे है हर एक बोल उनके,
एहसास छूने का चांदनी सा शीतल है,

हँसे वो जब झूम उठती है फिजायें,
खुशबूयें बिखेरता हवा में वो आँचल है,
Ehsaas Tera - एहसास तेरा




खयालों में वही है ख़्वाबों में भी वो,
सुरत इन आँखों से पलभर भी ना ओझल है,

न चैन है दिन में "आभास" ना नींद है रातों में
हर घड़ी उनकी है अब, उन्ही का हर पल है ।।
Ehsaas Tera - एहसास तेरा
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*प्रदीप माने "आभास" की रचना*

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धन्यवाद
शिव शर्मा



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3 comments:

  1. ना चैन है दिन में आभास ना नींद है रातों में ...... बहुत बढ़िया.... लिखते रहो प्रदीपजी

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