Tuesday 4 April 2017

Muskuraya Karo

मुस्कुराया करो


नमस्कार मित्रों । इस बार काफी लंबे समय बाद आपसे मुखातिब हो रहा हूँ, क्षमा चाहता हूं । समयाभाव की वजह से आपसे मिल नहीं पाया परंतु अब मैं कोशिश करूंगा कि सप्ताह में एक बार जरूर हम मुलाकात करें ।

एक बार फिर एक ग़ज़ल लिखने की कोशिश की है, इसी उम्मीद में कि हर बार की तरह इस बार भी आपका भरपूर स्नेह मिलेगा ।

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मुस्कुराया करो

इस कदर खुद को ना सताया करो,
हर बात को दिल से ना लगाया करो,

ज़माने की तो फ़ितरत ही है सताने की
आप तो हर हाल में मुस्कुराया करो,

रब जानता है साजिशें कौन करता है
हर किसी पर ऊँगली ना उठाया करो,

हर दफा दूसरा ही गलत नहीं होता
कभी यूँ भी दिल को समझाया करो,






नफ़रतें तो बढ़ाती है रिश्तों में दूरियां
मुहब्बतों के फूल खिलाया करो,

बहुत खूब कहा है किसी शायर ने भी
जंग अपनों से हो तो हार जाया करो,

तोड़ देती है मायूसियां इंसान को
खुल के हंसा करो हंसाया करो,

सुकूं मिलता है फ़क़त इतना करने से
बच्चों के साथ बच्चे बन जाया करो,

माना नामुमकिन है चाँद जमीं पर लाना
अपने नूर से महफ़िलें जगमगाया करो,

चाहो तो मोड़ दोगे रुख हवाओं का
कभी हौसले भी आजमाया करो

जिंदगी में सब कुछ नहीं मिला तो क्या
जो है उसी में खुश हो जाया करो,

यकीं मानो "शिव" जीना आसान हो जाएगा
दर रोज कुछ नए दोस्त बनाया करो ।।

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आपको ये ग़ज़ल कैसी लगी, जरूर बताना ।

शीघ्र फिर मिलने के वादे के साथ आज इज़ाज़त चाहूंगा ।

जय हिंद


Read "जो भी मिला अच्छा मिला" by Sri Shiv Sharma



*शिव शर्मा की कलम से***










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धन्यवाद

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