Monday 30 July 2018

अनजाना राही

अनजाना राही

Hindi Kavita

नमस्कार मित्रों । अनूप शर्मा की कविताओं को आपने इतना पसंद  किया उसके लिए धन्यवाद । आज फिर एक बार उनकी एक नई रचना "अनजाना राही" आपके लिए प्रस्तुत है । आशा है इस कविता को भी आप अपना पूर्ण स्नेह देंगे ।




अनजाना राही

Hindi Kavita


एक रोज यूं हुआ,
मैं बैठा हुआ,
कुछ सोच रहा था
कुछ बुन रहा था

मेरे विचारों को,
उसके ख़यालो को,
कभी लिखता रहा,
कभी मिटाता रहा

ख़ुदा से की बड़ी अर्जी,
उसकी हुई मर्जी,
वो आया सामने,
लगा मैं कांपने

इतनी खुशी हुई,
बर्दास्त ना हुई,
जैसे ही वो रुका,
मेरा वक्त थम गया ।

वो देख रहा सबको,
मैं देख रहा उसको,
वो ढूंढ रहा किसी को,
मैं पा रहा उसको ।

मंजिल का राही था,
कुछ थका थका सा था,
कही दूर से आया था,
कही दूर जाना था

मैंने कहा आओ,
कुछ देर रुक जाओ,
जरा अपनी बतियाओ,
कुछ मेरी सुन जाओ

कहने लगा मुझ से,
क्या वास्ता तुझ से,
मैंने कहा उस से,
है जिंदगी तुम से

वो सोचता रहा,
मैंं निहारता रहा,
वो खो सा गया,
मुझमें मिल सा गया

कुछ यूं हुआ असर,
उसकी झुकी नजर,
रही कोई ना कसर,
मुझमे उठी लहर

वो मुस्कुरा गया,
मैं रो सा गया,
उसे मैं मिल गया,
मुझे सब मिल गया

यकायक कुछ हुुुआ ऐसा,
सोचा नही जैसा,
वो चौंक कर जागा,
मुझसे दूर यूं भागा

उसे याद आ गया,
जो मैं भुला गया,
वो सहम सा गया,
सब उजड़ सा गया

उसको तो है चलना,
नही राह में रुकना,
हर हाल में बचना,
मंजिल को है पाना

वो चलता रहा,
मैं रोकता रहा,
वो खामोश सा रहा,
मैं बोलता रहा

वो रुक ना सका,
मैं चल ना सका
वो फिर आ ना सका,
मैं उसे पा ना सका

मेरे विचार थे,
उसके खयाल थे
सब साफ हो गये,
इतिहास बन गये ।।

******


Please read;

Chahat

Shubh Yatra



जय हिंद

*अनूप शर्मा की रचना*

















आपको ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।.  Email : onlineprds@gmail.com

धन्यवाद
शिव शर्मा



Note : Images and videos published in this Blog is not owned by us.  We do not hold the copyright.


No comments:

Post a Comment