Wednesday 19 September 2018

लोगों की तो आदत है

लोगों की तो आदत है


नमस्कार मित्रों । आज एक कविता लेकर आया हुं, जिसमें मैंने हमारे जीवन में, हमारे आसपास जो रोज घटित होता है उसे दर्शाने का प्रयास किया है । अब मेरा ये प्रयास कितना सार्थक हुआ है ये तो आपकी राय, आपके कमेंट्स से ही पता चलेगा । सो अपनी राय अवश्य बताएं ।

लोगों की तो आदत है


बात बात पर हंसी उड़ाना
लोगों की तो आदत है,
एक दूजे को नीचा दिखाना
लोगों की तो आदत है,

कौन कहाँ कब किससे मिला
किसने किसको क्या बोला
किसके घर में हुई लड़ाई
किसने किसका सर खोला
बैठे तिल का ताड़ बनाना
लोगों की तो आदत है
सबके फ़टे में टांग अड़ाना
लोगों की तो आदत है,

तू ये कर, तू वो मत कर
ये ज्ञान मुफ्त में देते है
चक्रव्यूह में फंसा किसी को
मजा मुफ्त का लेते हैं
भूलभुलैया में युं घुमाना
लोगों की तो आदत है
याद तू रखना भूल ना जाना
लोगों की तो आदत है,

शम्भू की गाड़ी खराब है
बाबू की साइकिल पंक्चर
मोती, लाला, सागर, शौकत
सबकी रखते हैं ये खबर
दिन भर झूठी खबरें बनाना
लोगों की तो आदत है
खोटी अफवाहें फैलाना
लोगों की तो आदत है,



ऐसा नहीं है सब खराब है
कुछ अच्छे भी होते हैं
चोर उचक्कों में भी भैया
कुछ सच्चे भी होते है
सच्चों को चश्मा पहनाना
लोगों की तो आदत है
उनको अपने जैसा बनाना
लोगों की तो आदत है,

अपनी समझ से जीवन जीना
अपनी राह पकड़ के चलना
सुनना सबकी करना मन की
बात दिमाग में एक ये रखना
गलत दिशाएं सदा दिखाना
लोगों की तो आदत है
राही को राहें भटकाना
लोगों की तो आदत है ।।

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जीवनसाथी



मेरे खयाल से इस कविता में जिन लोगों का जिक्र है वे लोग हर गांव, हर शहर में मिल जाते हैं, आपका क्या खयाल है ।

जल्दी ही फिर मुलाकात होगी दोस्तों । तब तक के लिए विदा चाहूंगा ।

जय हिंद

*शिव शर्मा की कलम से*









आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।.  Email : onlineprds@gmail.com

धन्यवाद

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