Tuesday 1 October 2019

खजाना


खजाना



नमस्कार दोस्तों । इस बार बहुत लंबे अर्से के बाद आपके रूबरू हो रहा हुं, लेकिन अब आप से थोड़े थोड़े अंतराल पर मुलाकात होती रहेगी ।

इस बार एक ग़ज़ल "खजाना" लेकर आया हुं और उम्मीद करता हुं कि आप इसे पसंद करेंगे ।

खजाना

जिंदगी में दर्द के पल भूल जाना चाहिए,
आदमी को बे वजह भी मुस्कुराना चाहिए,

क्या हुआ गर ख़ाब कुछ तेरे अधूरे रह गए,
जो हुए पूरे उन्ही में दिल लगाना चाहिए,

दूर है मंजिल तेरी और जिस्म में ताकत नहीं,
ऐसे बचकाने बहाने ना बनाना चाहिए,

कर लगन होकर मगन पहचान अपने लक्ष्य को,
और तान सीना ठान कदमों को बढ़ाना चाहिए,

दूसरों की कामयाबी पर जलन क्योंकर करें,
खुद को कुछ कर जाने के काबिल बनाना चाहिए,

मैं ही मैं हुं, सब मेरा है, मुझसे आगे कौन है,
इस तरह की सोच को तीली लगाना चाहिए,

राह हो मुश्किल मगर आसान करनी हो अगर,
मां बाप के चरणों में ये मस्तक झुकाना चाहिए,

रास्ते कांटों भरे और दूर मंजिल इसलिए,
साथ में उनकी दुआओं का खजाना चाहिए,

गर कोई मजबूर है, है जुल्म से दबा हुआ,
फायदा मजबूरियों का नहीं उठाना चाहिए,

जो कर सके कुछ तू अगर, तो कर मदद मजबूर की,
दे सहारा उनकी भी हिम्मत बढ़ाना चाहिए,

देखता है रब तुझे हर पल छुपी नजरों से शिव,
दाग से दामन सदा अपना बचाना चाहिए ।।

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मजदूर



जल्दी ही फिर मिलते है दोस्तों ।

जय हिंद

*शिव शर्मा की कलम से*







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