Wednesday 13 November 2019

शब्द


शब्द


नमस्कार मित्रों । आशा है आप सब सकुशल और प्रसन्नचित्त होंगे ।

इस बार थोड़ा हटकर एक कविता लिखने का प्रयास कर रहा हुं, इस आशा के साथ कि ये अवश्य ही आपको पसंद आएगी और आप भी उसे आगे से आगे बढ़ाते (फॉरवर्ड करते) जाएंगे ताकि आपके अन्य मित्र भी इसे पढ़ सकें ।

एक छोटा सा शब्द है "शब्द", लेकिन हम कब, कहां और कैसे इन शब्दों का उपयोग करते है, वही शब्द हमारे व्यक्तित्व की परछाई बन जाते हैं ।

प्रेमवश जहां हम अच्छे और सुंदर शब्दों का प्रयोग करते हैं वहीं विपरीत परिस्थितियों में, क्रोधावेश में, हम ऐसे शब्दों का चयन कर बैठते हैं जो अर्थ का अनर्थ कर के जीवन में जहर घोल देते है ।

उदाहरणार्थ जैसे महाभारत काल में द्रोपदी इंद्रप्रस्थ में अगर दुर्योधन को वे "अंधे का पुत्र अंधा" जैसे व्यंग्यात्मक शब्द ना बोलती तो शायद महाभारत ना हुई होती । बहुत से हजारों वीर योद्धा असमय काल के गाल में ना समाते ।

ऐसे ही त्रेता युग में (भगवान राम के समय) रावण यदि अपने भाई विभीषण को कटु शब्द ना बोलता तथा विभीषण के शब्दों पर गौर करके माता सीता को ससम्मान श्री राम को सौंप देता तो आज शायद हर वर्ष रावण के पुतले ना जलते ।

मेरे कहने का अर्थ इतना सा है कि ये "शब्द" भले ही एक छोटा सा शब्द हो मगर ये अपने अंदर बहुत कुछ छुपाये हुए है । किस समय हम किन शब्दों का उपयोग करें ये हमारी सोच और बुद्धि पर निर्भर करता है । ये शब्द ही है जो लोगों के दिलों में आदर भी पैदा कर सकते हैं और दूरियां भी ।

अतः आप जब भी कुछ बोलें, सदैव सोच समझकर और तोल मोल कर बोलें, ताकि आप लोगों के दिलों में जगह बना सकें और उन के हृदय में आपके लिए सदैव सम्मान और आदर बना रहे ।

इस बार मैनें इसी "शब्द" को अपनी कविता का शीर्षक चुना है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप इस कविता को भरपूर आशीर्वाद देंगे ।

तो लीजिये, अब ये कविता "शब्द" आपकी अदालत में पेश कर रहा हूँ । अपने विचारों से अवगत जरूर कराएं । अग्रिम धन्यवाद के साथ पेश है "शब्द" ।

शब्द  भाग १

शब्द बोलते, शब्द तोलते
शब्द दिलों का राज खोलते
शब्द ही परिभाषा बन जाते
शब्द कभी आशा बन जाते ।।१।।

शब्द नरम है शब्द गरम है
शब्द भी रखते लाज शर्म है
सोच समझ कर शब्द बोलना
शब्द है पूजा शब्द धर्म है ।।२।।

शब्द वही जो मन को भाये
मधुर शब्द सबको हर्षाये
कड़वा शब्द जहर है ऐसा
असर करे, रिश्ते मर जाये ।।३।।

शब्द ही मन का मैल मिटाते
शब्दों से चेहरे खिल जाते
शब्द बने कटु शब्द अगर तो
घर घर में झगड़े करवाते ।।४।।

शब्द कई घायल कर देते
शब्द हमें पागल कर देते
शब्द अगर हो अमृत जैसे
दुनिया को अपना कर लेते ।।५।।

हस्तिनापुर था शक्तिशाली
अभिमन्यु बालक बलशाली
युद्ध महाभारत ने कर डाली
वीरों से धरती ये खाली ।।६।।

पांचाली कुछ शब्द ना कहती
महाभारत की बात ना चलती
शकुनि के पांसे ना होते
लाक्षागृह की घटना ना घटती ।।७।।

अर्जुन कर्ण का वध क्यों करता
भीम प्रतिज्ञा किसलिए करता
झूठ युधिष्ठिर भी ना बोलता
भीष्म पितामह कभी ना मरता ।।८।।


खजाना



** क्रमशः ***

मित्रों क्षमा चाहूंगा, ये कविता जरा लम्बी होगी अतः इसे हम कुछ पार्ट में आपके सम्मुख पेश करेंगे । आपसे वादा है कि "शब्द भाग 2" बहुत शीघ्र ही आपके सामने होगा । मुझे पूरा विश्वास है कि थोड़ा सा वक्त तो आप देंगे ही ।

कुछ समय बाद फिर मिलते हैं, तब तक के लिए विदा दोस्तों ।

जय हिंद

*शिव शर्मा की कलम से*










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धन्यवाद

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