Monday 29 January 2018

Zindagi - जिंदगी

जिंदगी


नमस्कार मित्रों । इस बार फिर एक छोटी सी ग़ज़ल लिखने की कोशिश की है, आशा है ये ग़ज़ल भी आपको जरूर पसंद आएगी ।






जिंदगी


लम्हा लम्हा पिघल रही है जिंदगी
पल पल रंगत बदल रही है जिंदगी

हवा है, रोशनी है, मुट्ठी की रेत है
पकड़ के रख, फिसल रही है जिंदगी

तूफानों का क्या है आते रहते है
डगमगाकर फिर सम्भल रही है जिंदगी



सुबह से शाम, रात ओ दिन
गेंद की तरह उछल रही है जिंदगी

सुकून है कि थक कर रुकी नहीं है
धीमे ही सही, चल रही है जिंदगी

पता नहीं ये चांद है कि सूरज
हर रोज ढल रही है जिंदगी

आंखों में कहीं तो खाबों में कहीं
जाने कहां कहां पल रही है जिंदगी

इबादत, मुहब्बत, बगावत, शराफत
हर एक सांचे में ढल रही है जिंदगी

निखर उठी थी मुहब्बतों के साये में
नफरतों के चलते जल रही है जिंदगी




पता है इसे आखिरी अंजाम का
फिर भी खुद को, छल रही है जिंदगी ।।

** ** ** ** **

जल्दी ही फिर मिलते हैं दोस्तों । इस ग़ज़ल के बारे में अपने विचार जरूर बताना ।

जय हिंद

Click here to read "एहसास तेरा" by Sri Shiv Sharma


*शिव शर्मा की कलम से*








आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।.  Email : onlineprds@gmail.com

धन्यवाद

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Sunday 14 January 2018

Makar Sankranti - मकर संक्रांति

 मकर संक्रांति


नमस्कार मित्रों । आज मकर संक्रांति का पर्व है । जैसा कि आप जानते हैं इस पर्व को पूरे भारत देश में और नेपाल में खूब धूम धाम से मनाया जाता है ।

हमारे देश मे कई अलग अलग रीति रिवाज और रूपों में मनाया जाता है । जैसे पंजाब तथा हरियाणा में इसे लोहिड़ी के रूप में एक दिन पूर्व मनाया जाता है । तमिलनाडू में ये पोंगल के रूप में मनाया जाता है । इस दिन सभी लोग दान पुण्य को भी विशेष महत्व देते हैं ।

इस दिन सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है और इस दिन से सूर्य की गति उत्तरायण हो जाती है । और आज से दिन बड़े और रात छोटी होनी शुरू हो जाती है ।

इन के अलावा इस पर्व की और भी बहुत सारी मान्यताएं और विशेषतायें हैं । मौका भी था और दस्तूर भी, इसलिए आज मैनें इसी विषय को चुना एक कविता के लिए । उम्मीद है कि आप इस कविता को भी पसंद करेंगे ।



मकर संक्रांति


दमकते चेहरे महकते दिल
गजक खिचड़ी और गुड़ तिल
पकवानों की सौंधी महक से
हवा का मुखड़ा गया है खिल

मकर राशि में भाष्कर आये
दिन ये मकर संक्रांति कहाये
इस शुभ दिन को ही भागीरथ
स्वर्ग से गंगा लेकर आये
सुना है इस दिन दान पुण्य के
सब शुभ फल जाते हैं मिल
पकवानों की सौंधी महक से
हवा का मुखड़ा गया है खिल

आसमान से धुंध छंट गई
लोहड़ी की रेवड़ियां बंट गई
माघ मेले की हुई तैयारी
पावन नदी की रौनक बढ़ गई
ठिठुराती इस सर्दी से भी
अब जाएगी राहत मिल
पकवानों की सौंधी महक से
हवा का मुखड़ा गया है खिल

उड़ी पतंगें आसमान पर
अजब अनोखी रंग बिरंगी
तरह तरह के रंगों से मिलकर
नीला गगन बना सतरंगी
"वो काटा" के शोर से देखो
सारा शहर गया है हिल
पकवानों की सौंधी महक से
हवा का मुखड़ा गया है खिल

ऋतु वसंत इठलाती आई
सिकुड़ी हुई कलियां मुस्काई
अच्छी फसल की आशा मन में
कृषकों के चेहरे पर छाई
ईश्वर से अरदास करो सब
जो ये मांगे जाए मिल




आओ हम भी प्रण इक करलें
साथ चलेंगे सब हिलमिल
दमकते चेहरे महकते दिल
गजक खिचड़ी और गुड़ तिल ।।

आप सभी को मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं । शीघ्र ही फिर मिलेंगे ।


Click here to read "फिर बच्चा बन जाऊं" by Sri Shiv Sharma


जय हिंद

*शिव शर्मा की कलम से*








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