सर्दी आई सर्दी आई - The winter has come
नमस्कार दोस्तों । क्षमा चाहूंगा, दो तीन दिन से कुछ लिख नहीं पाया । पता नहीं क्यों, कुछ सूझ ही नहीं रहा है, अन्यथा तो विचारों का समंदर दिमाग में उथल पुथल मचाता ही रहता है ।
आज फिर रहा नहीं गया । आप से बतियाने का दिल हुआ तो बैठ गया लिखने । हालांकि तन थका थका सा है, पर मन आप सबसे बात करने को मचल रहा है ।
और हां, सर्दी अपने पूर्ण यौवन पर है, अपने आप को इससे बचाके रखना । बहुत बेवफा है ये जालिम । आहें ठंडी ठंडी भरवाती है मगर मौका पाते ही हमला कर देती है । एक बार अगर इसने पकड़ लिया तो फिर, तौबा तौबा । बेचारी नाक की तो शामत आ जाती है । नित्य दो तीन रुमाल "नाक के आंसू" रोते हैं ।
वैसे सर्दी का मौसम स्वास्थ्य के लिए है बेहद अच्छा । जो भी खाओ हजम हो जाता है । हो सकता है कई मित्र अभी गोंद के लड्डूओं का लुत्फ़ उठा रहे होंगे । बड़े मजेदार और स्वादिष्ट होते हैं ये लड्डू ।
राजस्थान में तो सर्दियों का मौसम और गोंद के लड्डुओं का जन्मजात का रिश्ता है । सुबह का नाश्ता प्रायः ये लड्डू ही होते हैं । देशी घी में भुने हुए गोंद के बने लड्डू तुरंत उर्जादायक और सर्दी से बचाने वाले जो होते हैं ।
"मौका भी है और दस्तूर भी" वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए मैं भी सर्दी के इसी मौसम पर एक साधारण सी कविता या तुकबंदी करने का प्रयास कर रहा हुं । शायद आपको पसंद आये ।
शाम हुई सब दुबके घरों में
सुनी हो गई गलियां सारी
पेड़ ठंड से ठिठुर रहे हैं
सिकुड़ गई है कलियां सारी
हर कोई ढूंढ रहे बक्सों में
कहां है कम्बल, कहां रजाई
सर्दी आई सर्दी आई
कोट स्वेटर जैकेट मफलर
सब के सब इतराये हैं
आखिर कितने अरसे बाद वे
कैद से बाहर आये हैं
लालाजी के सर चढ़ देखो
ऊनी टोपी भी इतराई
सर्दी आई सर्दी आई
कोहरे का आलम मत पूछो
उसकी अकड़ निराली है
दुश्मन बना धुप का जालिम
नम्बर एक मवाली है
कोढ़ में खाज बनी कुदरत
जो इस कोहरे में हवा चलाई
सर्दी आई सर्दी आई
हिम्मतवाला ताकतवाला
वो, जो रोज नहाता है
चौड़ी छाती कर औरों को
सरल उपाय सुझाता है
रोज नहाना आफत लगता
हाथ पैर ही धो ले भाई
सर्दी आई सर्दी आई ।।
अब आपसे इजाज़त चाहूंगा । कल फिर मिलते हैं ।
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http://hindigeneralblogs.blogspot.in/2015/12/chalo-geet-likhe.htmlजय हिन्द
...शिव शर्मा की कलम से...
वाह
ReplyDeleteEkdam mast
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