शब्द भाग २
नमस्कार मित्रों, शब्द का पहला भाग आपने इतना पसंद किया उसके लिए आप सभी का आभार ।
आपकी आतुरता को आदर देते हुए आज ले आया हुँ शब्द का दूसरा भाग । आशा है इसे भी आप भाग १ की तरह ही अपना स्नेहाशीष देंगे, और अपने अन्य मित्रों को भी इसका लिंक, पहले की तरह, अग्रसर (फॉरवर्ड) करेंगे ।
आज के भाग में रानी द्रोपदी द्वारा दुर्योधन को कहे गए शब्दों के कारण हुए महाभारत युद्ध के कुछ दृश्य दिखाने का प्रयास है, अब मैं कहां तक इस प्रयास में सफल हुआ हूं ये तो आपके कमेंट्स द्वारा ही पता चलेगा। तो लीजिये, शब्द भाग २ आपके लिए ।
शब्द भाग २
अर्जुन कर्ण का वध क्यों करता
भीम प्रतिज्ञा किसलिए करता
झूठ युधिष्ठिर भी ना बोलता
भीष्म पितामह कभी ना मरता ।।८।।
अगर जरूरी नहीं बोलना
व्यर्थ क्यों मुख फिर अपना खोलना
चुप से मगर कोई बात जो बिगड़े
घोर पाप तब नहीं बोलना ।।९।।
अगर भीष्म तब चुप ना रहते
गुरु द्रोण कुछ शब्द जो कहते
महाभारत की कथा ना होती जो
द्युत क्रीड़ा चुपचाप ना सहते ।।१०।।
वहां जरूरी था कुछ कहना
बहुत गलत था तब चुप रहना
शब्द अगर उपयोग में लाते
कष्ट का पल ना पड़ता सहना ।।११।।
शकुनि के पांसे थे भारी
धर्मराज ने बाजी हारी
दुर्योधन ने जीत लिए थे
पांचाली संग भाई चारी ।।१२।।
दुर्योधन ने शब्द सुनाए
पांचाली को पकड़ ले आये
दुःशासन ने वस्त्र जो खिंचे
द्रोपदी को अब कौन बचाये ।।१३।।
पांचाली ने मन ही मन में
शब्द मदद को कुछ दोहराये
व्याकुल शब्द सुने गिरधर ने
लाज बचाने दौड़े आये ।।१४।।
परिस्थिति थी चुप रहने की
भीम में शक्ति कब सहने की
कड़ी प्रतिज्ञा कर डाली थी
दुशाशन का लहू पीने की ।।१५।।
कुछ शब्दों ने कर क्या डाला
भ्राताओं को लड़वा डाला
चाचाओं के हाथों एक
भतीजे को भी मरवा डाला ।।१६।।
विध्वंसक एक युद्ध हो गया
शरशय्या पर भीष्म सो गया
अभिमन्यु, गुरु द्रोण, दुशाशन
कर्ण ना जाने कहाँ खो गया ।।१७।।
अगर द्रोपदी चुप रह जाती
शब्दों को बाहर ना लाती
दुर्योधन की ईर्ष्या शायद
युद्ध का रूप नहीं ले पाती ।।१८।।
कुछ शब्दों ने और कुछ चुप ने
काम बिगाड़ा था तब सारा
गुरु शिष्य बन गए थे दुश्मन
भाई ने भाई को मारा ।।१९।।
माना था दुर्योधन दम्भी
कारण नहीं था युद्ध का फिर भी
पांचाली के उन शब्दों ने
आग में डाल दिया थोड़ा घी ।।२०।।
उन लपटों में हस्तिनापुर
जल उठा था फिर धु धु कर
रोज जली थी कई चिताएं
था दृश्य वो बड़ा भयंकर ।।२१।।
इसीलिए जब भी कुछ बोलो
सोचो समझो शब्दों को तोलो
पहले सोचो अर्थ अनर्थ की
पीछे फिर अपना मुंह खोलो ।।२२।।
शब्द भाग 1
** क्रमशः ***
अगले भाग में जल्दी ही आपके लिए ले के आऊंगा की ये छोटा सा शब्द "शब्द" और क्या क्या कर सकता है, क्या क्या अर्थ अनर्थ कर सकता है । तब तक के लिए विदा मित्रों ।
जय हिंद
*शिव शर्मा की कलम से*
आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।. Email : onlineprds@gmail.com
धन्यवाद
Nice one
ReplyDeleteBahut sunder , mann ko bahut accha laga
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteBahut gahrai se likha h 👌👌
ReplyDeleteKeep it up 👌
ReplyDeleteबहुत खूब👌👌👌कविता के जरिए महाभारत का खूब अच्छा वर्णन किया है।
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