स्वागतम् नववर्ष - Welcome New Year
बस 4 दिन और, और शुरुआत एक नए साल की । देखते देखते 365 दिन गुजर गए । युं लगता है जैसे अभी कुछ दिन पहले ही तो हम एक दूसरे को नव वर्ष की शुभकामनायें दे रहे थे ।
वक्त थमता नहीं है । दिन हफ़्तों में, हफ्ते महीनों में और महीने साल में बदलते जाते हैं । पुराना बीत जाता है और नया साल आ जाता है ।
लेकिन बदलता क्या है ? सिर्फ तारीख ? या कुछ और भी । जी हां, गुजरते वक्त के साथ और भी बहुत कुछ बदल जाता है । बीता साल बहुत सी खट्टी मीठी यादें छोड़ जाता है । बहुत से पलों को तो हम भूल भाल भी जाते हैं ।
लेकिन इस बार आप एक काम कीजिये, इन तीन चार दिनों में जब भी फुरसत मिले, जाने वाले साल की यादों को ताजा कीजिये ।ख़ुशी के पलों को याद करके फिर एक बार आनंदित हो जाइए । आपने कुछ सपनों के ताने बाने बुने होंगे, उनको इस आने वाले साल में एक दिशा देने का प्रयास कीजिये ।
कुछ गलतियां भी हुयी होंगी, कुछ यार रूठे होंगे । कुछ नए मित्र भी बने होंगे । किसी के आँगन में नन्ही किलकारियाँ गूंजी होगी । कुछ सुखद तो कुछ दुखद घड़ियां भी आई होंगी ।
ये ही तो जीवन है । जीवन के इन हसीन, मधुर पलों को सहेजकर रखें । रूठे हुओं को मनालें ताकि खुशियां दुगुनी हो जाए ।
जाने वाले साल को विदा करते हुए आइये आने वाले नव वर्ष का स्वागत करें ।
"अलविदा से पहले
तेरा शुक्रिया ए जाने वाले साल
अच्छा रहा
तेरे साथ का सफ़र
तुमने ही तो दिया
मुझे मेरा हमसफ़र
कितने नए मित्र दिए
ये अलग बात है,
कुछेक विचित्र दिए
मेरे साथ चलते चलते
मेरे सुख दुःख के भागीदार बने
हम भी तो कच्चे से
थोड़े होशियार बने
कुछ मिले,
कुछ छोड़ गए
कोई दिल में बसे
कोई इसे तोड़ गए
तेरे सोहबत में ही
मैंने चखा तरक्की का स्वाद
ए जाने वाले साल
तू सदा रहेगा याद
कुल मिलाकर
तुमने लिया कम,
दिया ज्यादा
ए जाने वाले साल,
तुम्हे अलविदा"
"स्वागत स्वागत
नव वर्ष तेरा स्वागत
तुम बस मेरा
इतना सा कहा करना
आगाज़ से अंजाम तक
जरा सबका ख्याल रखना
अपनों को अपनों से लगाव रहे
आसमां छु लें, पर जमीं पर पाँव रहे
जरा इस अर्जी पर भी विचार करना
सबके सपनों को तू साकार करना
ना अतिवृष्टि ना सुखा हो
कोई प्यासा ना भूखा हो
क्रन्दन ना हाहाकार हो
न अबलाओं पर अत्याचार हो
आ चल तेरी छाँव में
जिंदगियों को संवारा जाए
खुदा करे तेरे सफ़र में कोई मासूम
बेमौत ना मारा जाये"
इन्हीं शब्दों और नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाओ के साथ आज अलविदा दोस्तों, कल फिर मिल रहे हैं ना ।
जय हिन्द
...शिव शर्मा की कलम से...
बस 4 दिन और, और शुरुआत एक नए साल की । देखते देखते 365 दिन गुजर गए । युं लगता है जैसे अभी कुछ दिन पहले ही तो हम एक दूसरे को नव वर्ष की शुभकामनायें दे रहे थे ।
वक्त थमता नहीं है । दिन हफ़्तों में, हफ्ते महीनों में और महीने साल में बदलते जाते हैं । पुराना बीत जाता है और नया साल आ जाता है ।
लेकिन बदलता क्या है ? सिर्फ तारीख ? या कुछ और भी । जी हां, गुजरते वक्त के साथ और भी बहुत कुछ बदल जाता है । बीता साल बहुत सी खट्टी मीठी यादें छोड़ जाता है । बहुत से पलों को तो हम भूल भाल भी जाते हैं ।
लेकिन इस बार आप एक काम कीजिये, इन तीन चार दिनों में जब भी फुरसत मिले, जाने वाले साल की यादों को ताजा कीजिये ।ख़ुशी के पलों को याद करके फिर एक बार आनंदित हो जाइए । आपने कुछ सपनों के ताने बाने बुने होंगे, उनको इस आने वाले साल में एक दिशा देने का प्रयास कीजिये ।
कुछ गलतियां भी हुयी होंगी, कुछ यार रूठे होंगे । कुछ नए मित्र भी बने होंगे । किसी के आँगन में नन्ही किलकारियाँ गूंजी होगी । कुछ सुखद तो कुछ दुखद घड़ियां भी आई होंगी ।
ये ही तो जीवन है । जीवन के इन हसीन, मधुर पलों को सहेजकर रखें । रूठे हुओं को मनालें ताकि खुशियां दुगुनी हो जाए ।
जाने वाले साल को विदा करते हुए आइये आने वाले नव वर्ष का स्वागत करें ।
"अलविदा से पहले
तेरा शुक्रिया ए जाने वाले साल
अच्छा रहा
तेरे साथ का सफ़र
तुमने ही तो दिया
मुझे मेरा हमसफ़र
कितने नए मित्र दिए
ये अलग बात है,
कुछेक विचित्र दिए
मेरे साथ चलते चलते
मेरे सुख दुःख के भागीदार बने
हम भी तो कच्चे से
थोड़े होशियार बने
कुछ मिले,
कुछ छोड़ गए
कोई दिल में बसे
कोई इसे तोड़ गए
तेरे सोहबत में ही
मैंने चखा तरक्की का स्वाद
ए जाने वाले साल
तू सदा रहेगा याद
कुल मिलाकर
तुमने लिया कम,
दिया ज्यादा
ए जाने वाले साल,
तुम्हे अलविदा"
"स्वागत स्वागत
नव वर्ष तेरा स्वागत
तुम बस मेरा
इतना सा कहा करना
आगाज़ से अंजाम तक
जरा सबका ख्याल रखना
अपनों को अपनों से लगाव रहे
आसमां छु लें, पर जमीं पर पाँव रहे
जरा इस अर्जी पर भी विचार करना
सबके सपनों को तू साकार करना
ना अतिवृष्टि ना सुखा हो
कोई प्यासा ना भूखा हो
क्रन्दन ना हाहाकार हो
न अबलाओं पर अत्याचार हो
आ चल तेरी छाँव में
जिंदगियों को संवारा जाए
खुदा करे तेरे सफ़र में कोई मासूम
बेमौत ना मारा जाये"
इन्हीं शब्दों और नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाओ के साथ आज अलविदा दोस्तों, कल फिर मिल रहे हैं ना ।
Click here to read "शायराना अंदाज" beautiful gazal written by Sri Shiv Sharma
जय हिन्द
...शिव शर्मा की कलम से...
अच्छा रहा ये भी
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