Saturday 9 June 2018

लोग - Log

लोग


नमस्कार मित्रों । इस बार एक छोटी सी ग़ज़ल ले के आया हुं । उम्मीद है आपको जरूर पसंद आएगी । अपने विचार मेरे साथ जरूर साझा करें ।







लोग


दुनिया में आते हैं, चले जाते हैं लोग,
फिर किस बात पर इतराते हैं लोग,

छोटी सी जिंदगी है खुशी से जी लें
ताउम्र समझ ना पाते हैं लोग,

होकर कामयाबी के नशे में धुत्त
अपनों को भूल जाते हैं लोग,

ख्वाहिशें है कि इनकी खत्म ही नहीं होती
क्यों नहीं दिल को समझाते हैं लोग,

कौन डाकू है और कौन लुटेरा
आपस मे ही बताते हैं लोग,

खुद का दामन भले ही मैला हो
औरों के दाग दिखाते हैं लोग,

मक्कारी, बेईमानी, झूठ, फरेब,
कितने पाप कमाते हैं लोग,

जान बूझकर करते हैं खतायें हजारों
फिर अपने गुनाह बख्शवाते हैं लोग,

बात अगर उनके मन की ना हो तो
बगावत पे उतर आते हैं लोग,

नाहक ही करते हैं लोगों से नफ़रतें
जब सियासत में फंस जाते हैं लोग,

अमीरों की चौखट पे करते हैं सजदे
गरीबों को अक्सर सताते हैं लोग,

सबकी नजरों से छुपाके रखना "शिव"
मजबूरियों का फायदा उठाते हैं लोग ।।

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जल्दी ही फिर मिलते हैं मित्रों एक नई रचना के साथ ।

 जनम जनम का साथ


जय हिंद

*शिव शर्मा की कलम से*








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धन्यवाद

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