कहाँ तुम चले गए
नमस्कार दोस्तों । अनूप शर्मा की रचना "चाहत" को आपने इतनी चाहत दी, इसलिए उनकी एक और शानदार रचना पेश है और वो भी बिना किसी भूमिका के । अब आप ही बताइएगा कि कवि अपनी इस कविता के माध्यम से अपनी कौनसी मार्मिक पीड़ा बयान कर रहा है ।
कहाँ तुम चले गए
अरे तुम कहा हो
कहाँ गये
अभी तो यहीं थे
मेरे साथ
बाजू में ही तो थे
हाँ तुम ही
जिसे मैं बहुत चाहता हुँ
जिसकी परवाह करता हूँ
जिसकी खुशी में
मैं भी खुश हो जाता हूँ
जिसे हंसाने को
नए बहाने ढूंढता हुँ
जानबूझकर
नादानियां करता हूँ
चुपके से
रोता हूँ
जब तुम बीमार होते हो
सामने तेरे
हंसता हुआ रहता हूँ
कि यह तो कुछ नही
तू जो साथ है
सब ठीक ही तो है
बतियाता हूँ नींद में भी
कि सुनता रहूँ रात भर
तेरी आवाज
तू ही तो है
जिससे मैं हूँ
वरना
यहाँ कौन है मेरा
पर तुम चुप क्यों हो
बतियाते क्यो नही
सुनो
कुछ कह रहा हूँ मैं
चिल्ला रहा हूँ मैं
देखो
मेरी आँखों मे
रो रहा हूँ मैं
आंखे जल रही है
दिमाग सुन्न है
कुछ समझ नही पा रहा हूँ
घबरा रहा हूँ मैं
तुम सच मे चले गए
अकेले
बिना मेरे
पर तुम तो
बाजार भी नही जाते थे अकेले
बिना मुझसे कहे
फिर इतनी दूर
जहाँ आवाज भी ना पहुंचे
ऐसे रास्ते पर
जिसका कोई निशान नही
जहाँ से कोई वापिस नही आता
जाना ही था
तो मुझे भी ले चलते
बिना तेरे
यहाँ कुछ भी नही
किससे बतियाऊंगा
किसे हंसाउंगा
किसे संवारूँगा
किसे मनाऊंगा
अरे तुम कहाँ हो
कहाँ गए
अभी तो यहीं थे
मेरे साथ!!
चाहत
** ** ** **
अपने कमेंट्स के द्वारा अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें मित्रों, ताकि हमें भविष्य में भी अनूप शर्मा की ऐसी रचनाएं मिलती रहे और हम उसका लुत्फ उठाते रहें ।
जय हिंद
*अनूप शर्मा की रचना**
आपको ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।. Email : onlineprds@gmail.com
धन्यवाद
शिव शर्मा
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Wah anoop ji kya baat hai
ReplyDeleteShukriya
DeleteWah anoop ji kya baat hai
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबेहद उम्दा। कवि ने खुद संवेदनाओं को जीकर लिखा है।
ReplyDeleteDhanyawad
Deleteइसको आगे बढ़ाते हुए सफलता प्राप्त करे ।
ReplyDeleteShukriya
DeleteVery nice
ReplyDeleteShukriya
DeleteGood ..sir..
ReplyDeletebahut hi khub....tarife kabil...dil ko chu liya
ReplyDeleteBahut khub likha hai aapane
ReplyDeleteShukriya
DeleteVery nice poem
ReplyDeleteThnx
DeleteVery nice poem
ReplyDeleteRegards
Bhavesh dave
Shukriya
DeleteNice sir ji
ReplyDeleteHeart touching.... Rula diya
ReplyDeleteChahat bahut gahari h anoop ji
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