सिंहनी
नमस्कार मित्रों । इस बार एक ग़ज़ल ले के आया हुं, बिना किसी भूमिका के आपके सामने पेश कर रहा हुं । आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा ।
सिंहनी
अब तू डरना छोड़ दे बेटी
तूफां का रुख मोड़ दे बेटी,
धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ा और
बाण अग्नि का छोड़ दे बेटी,
चुन चुन बुरी नजर वालों का
मुगदर से मुंह तोड़ दे बेटी,
गिद्ध दृष्टि जो तुझ पर डाले
उन आंखों को फोड़ दे बेटी,
गाहे बगाहे हाथ लगाए
उंगलियां उसकी मोड़ दे बेटी,
बदनीयती से तुझको छुए
ऐसे हाथ मरोड़ दे बेटी,
पल्लू तेरा जो खींचना चाहे
सजा उसे उसी ठौड़ दे बेटी,
बन बैठे है दुःशासन जो
उनका लहू निचोड़ दे बेटी,
खुद तू ही बन जा केशव और
आँचल खुद ही जोड़ दे बेटी,
कृष्ण नहीं आ पाएंगे अब
तू ही सुदर्शन छोड़ दे बेटी,
लाज शर्म से खाली हो गए
सोए हृदय झंझोड़ दे बेटी,
मदद करे बेटी की जो "शिव"
उनको दुआ करोड़ दे बेटी ।।
* * * * *
जल्दी ही फिर मुलाकात होगी । इस ग़ज़ल के बारे में अपनी राय अवश्य बताएं ।
जय हिंद
*शिव शर्मा की कलम से*
आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।. Email : onlineprds@gmail.com
Mast mamaji ... Super lines
ReplyDeleteThank u dear
DeleteKhub
DeleteVery well said
ReplyDeleteExtra Marvelous 👌👌👍
ReplyDeleteI appreciate your high thoughts,🥰
ReplyDeleteWorth reading damm adorable 😃
ReplyDeleteकृष्ण नही आएंगे अब तू ही सुदर्शन छोड़ दे बेटी
ReplyDeleteबहुत खूब बहुत खूब
Bhaut khoob
ReplyDeleteआज के हालात के हिसाब से एकदम सही विचार,
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है, काश ....
मस्त
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteModern day Indian Woman🇮🇳 Sherni
ReplyDeleteBahut khoob sir ji bilkul lajawab 👌👌👌👌👌
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