कल्पनायें - Imaginations / Thoughts
नमस्कार दोस्तों । सर्वप्रथम तो आप सभी को मॉनसून आगमन की बधाई । ईश्वर करे इस बार की बरसात हर चेहरे पर मुस्कराहट खिला दे । ना कहीं सुखा पड़े और ना कहीं बाढ़ हो ।
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प्रार्थना कीजिये कि बादल इस कदर मेहरबान हो जाए कि हर खेत लहलहा उठे । हर जलाशय, जहाँ से गांव शहरों को पानी की आपूर्ति होती हो, अपनी तय सीमा तक लबालब भर जाए । तो फिर जरा कल्पना कीजिये कि आने वाले दिन कितने सुहाने होंगे । ना पानी का संकट होगा ना खाने की वस्तुओं की कमी । महंगाई भी काबू में होगी ।
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और बहुत सी जगहों पर तो महिलाओं को दूर दूर से पानी लाना पड़ता है, अच्छी बरसात होने से गांव के कुँए तालाब भरे रहेंगे तो उनको भी थोडा आराम मिल जाएगा । जानवरों के लिए भी भरपूर चारा होगा, वे प्यास के मारे तड़फेगे नहीं । ये कल्पनायें जब सच होंगी तो उस वक्त दिल को मिलने वाले आनंद के बारे में कल्पना करके ही मन अभी से प्रफुल्लित हो रहा है ।
कल्पनाओं की उड़ान वैसे है बड़ी कमाल की । दिमाग में आने वाले अनगिनत विचार या सोच का ही दूसरा नाम कल्पना है । भविष्य में घटने वाली घटनाओं को हम कल्पनाओं के माध्यम से बहुत पहले ही मन ही मन देख लेते हैं । अच्छा बुरा जो देखना चाहो कल्पनाओं के समंदर में डूब जाओ और देख लो ।
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वैसे ज्यादातर लोग सकारात्मक कल्पनायें ही करते हैं जिनका परिणाम वे येन केन प्रकारेण कल्पना करते हुए अपने पक्ष में ले आते हैं । शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो कल्पनाओं के जहाज पर सफ़र ना करता हो ।
ये मजेदार तब हो जाती है जब पांच सात जने फुरसत से बैठे गप्पें लड़ा रहे हो और ऐसा कोई विषय छिड़ जाए जिसका कोई सिर पैर ही ना हो, और बहुधा ऐसा ही होता है । ना जाने कितने लोगों ने ये कल्पना की होगी कि अमेरिका अगर धरती पर भारत के ठीक निचे हैं तो क्यों ना एक खड्डा खोदा जाए जिसका दूसरा दरवाजा सीधा अमेरिका में ही खुले ।
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ऐसे विषय एक बार शुरू हो जाए तो फिर तो कल्पनाओं की रॉकेट जो उड़ती है तो बिना कहीं रुके पता नहीं कहां कहां का सफ़र कर आती है । हां इस बीच ठहाकों से आसमान जरूर गूंज उठता है ।
हम अगर कोई कार्यक्रम भी बनाते हैं तो उसमें भी कल्पनाओं का दखल जगह जगह होता है । उदाहरणार्थ यदि हमें रेलगाड़ी से किसी लंबी यात्रा पर जाना हो तो गाड़ी के डब्बे की सीट के बारे में हम कल्पना करने लगते हैं की वो आरामदायक हो, टूटी हुई ना हो । कल्पनाओं में ही ये भी सोचने देखने लगते हैं कि उस कूपे में साथ में आने वाले अन्य यात्री कौन होंगे, उनके पास ना जाने कितना सामान होगा, चाय वाला चाय अच्छी लाएगा की नहीं, रास्ते में गाड़ी लेट तो नहीं होगी, इत्यादि इत्यादि ।
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कुछ स्वादिष्ट कल्पनायें भी हो जाती है जब आने वाले सप्ताहांत में किसी भोजन समारोह का निमंत्रण मिल जाए । फिर तो कल्पनाओं में ही मुंह में पसंदीदा खाद्य पकवानों का स्वाद घुलने लगता है, हां ये स्वाद इस बात पर निर्भर जरूर करता है कि आपकी कल्पना शक्ति कितनी सशक्त है । निमंत्रण मिलने के बाद ये डर भी बना रहता है कि किसी कारणवश ये कार्यक्रम रद्द ना हो जाए । ख़ुशी दुगुनी हो जाती है जब वो समारोह तयशुदा कार्यक्रमानुसार हो और उस दावत में वही या उससे उम्दा भोजन मिल जाए ।
कल्पनाओं में बहुत शक्ति होती है मित्रों । कल्पना करके ही बहुत से वैज्ञानिकों ने कितनी सारी इज़ाद कर डाली । क्योंकि कल्पनायें जब साकार रूप लेती है तो उनके नतीजे बहुत सुखद होते है ।
इसके अलावा बहुत सी मानसिक परेशानियां आप महज कल्पनाओं की नाव पर सवार होकर दूर कर सकते हैं । कोई भी नकारात्मक विचार अगर आपके मस्तिष्क में घर बनाये हुए है तो उसे सकारात्मक कल्पनाओं के हथियार से मार सकते है, करके देखिये ।
हमेशा जीत की कल्पना कीजिये । बाद में अगर दुर्भाग्यवश हार जाएं तो निराश होने की बजाय अगली बार जितने की कल्पना करना शुरू कर दीजिये, क्योंकि कोई भी हार आखरी हार नहीं होती ।
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अब मैं भी कल्पना कर रहा हूँ कि आपको मेरा ये ब्लॉग पसंद आएगा, इतना ज्यादा कि आपके द्वारा मिली तारीफों के लिए मुझे बहुत सी जगह बनानी होगी ।
जय हिन्द
*शिव शर्मा की कलम से***
आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।. Email : onlineprds@gmail.com
धन्यवाद
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Belkul shai sir ji
ReplyDeleteGood one
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