मेरा गांव
शहर की भागती दौड़ती जिंदगी, जहां आदमी सुबह से शाम बस भागता रहता है । बमुश्किल कभी फुर्सत के क्षण मिलते हैं, और जब भी शहरी आदमी फुरसत में होता है, अक्सर उसे अपने गांव की याद आ ही जाती है ।
मेरे गांव का सभी लोगों का आपसी अपनापन, उनके बीच होती हंसी ठिठोली, तीखी मीठी नोकझोंक, खेतों में चारा चरते पालतू जानवर, अपनी स्कूल, पुराने सहपाठी, दोस्तों के साथ मस्तियां, सुकून भरी नींद, कुछ ही पलों में वो बहुत कुछ याद कर लेता है ।
गांव में रहते शहर का ख्वाब देखने वाला वही व्यक्ति जब शहर और गांव की तुलना करता है तो शायद यही सोचता होगा कि इस शहर ने उसे युं तो काफी कुछ दिया है, परंतु पीछे भी जीवन की बहुत सी कीमती चीजें, वहीं, गांव में रह गई, जो इस शहर में मिल ही नहीं सकती ।
इसी विषय पर एक कविता लिखने का प्रयास किया है । आशा है, आप सब इसे भी पसंद करेंगे ।
मेरा गांव
शहर जहां कई जगह
अपनी करतूतों पर शर्मिंदा है,
वहीं भोलेपन के माहौल में
मेरा गांव अब भी जिंदा है,
जहां बसता है जीवन
प्रेम स्नेह और अपनापन
एक दूजे के सुख दुख की
लोगों को अब भी फिक्र है
अपने इतिहास और संस्कारों का
हर जुबां पर जिक्र है
शाम को चौपाल पर
वैसा ही जमघट होता है,
गांव गांव में अब भी
एक तालाब एक पनघट होता है,
बैलगाड़ी से खेत जाते किसान
ये दृश्य अब भी आम है,
मुस्कुराती हुई सुबह वहां
वहां इठलाती सी शाम है,
सितारों की रोशनी
बालू रेत पर चमकती है,
मुस्कुराती इतराती चांदनी
चप्पे चप्पे पर विचरती है,
सूर्य की पहली किरण भी शायद
गांव की गलीयों से निकलती है
माना कि शहर में
सैंकड़ों सुविधाएं हैं,
उससे ज्यादा मगर,
अनगिनत दुविधाएं है,
गांव में ताजी खुली हवा है
शहर चारों ओर धुआं धुआं है,
शहरों में बड़े बड़े हस्पताल
नामी गिरामी हकीम है
गांव में हर मर्ज की दवा
वही, चौराहे वाला नीम है,
शहर की भीड़ का आलम
लगता है जैसे कोई मेला है,
फिर भी इस भागते शहर में
हर आदमी अकेला है,
किसी को किसी से जैसे
कोई वास्ता ही नहीं,
और जहां बेधड़क चल सकें
ऐसा कोई रास्ता ही नहीं,
गांव वाले घर के आंगन से छोटा
शहर का फ्लैट है
वहां समय ही समय है
यहां हर वक्त लेट है
वहां सेहत है
यहां हजारों बीमारी है,
यहां की बाइक पर
गांव की साइकिल भारी है,
पड़ौसी अपने पड़ौसी को
नहीं पहचानता है,
और गांव का बच्चा बच्चा
सबको नाम से जानता है
खुशी और गम में
जीवन के हर मौसम में,
हर एक के हर मौके पर
हर कोई साथ है,
मेरे गांव की
यही तो खास बात है ।।
* * *
धन्यवाद दोस्तों । आपको ये कविता कैसी लगी, बताना अवश्य । जल्दी ही फिर मुलाकात होगी ।
जय हिंद
सर क्या आप हमारे बैरङवैली/bairadvalley गांव पर कविता लिखेंगे ?
ReplyDelete