Saturday 17 October 2015

कलियुगी रावण - The Modern Raavan

कलियुगी रावण - The Modern Raavan


दोस्तों, विजयादशमी आ रही है और जैसा की हम सब जानते है इस दिन भगवान् राम ने अहंकारी रावण का वध करके संसार को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। शायद इसीलिए इस दिन को "बुराई पर अच्छाई की जीत" से भी संबोधित किया जाता है ।

इस दिन गाँव गाँव शहर शहर के किसी खुले मैदान में मेला लगता है और रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है और हम सब बुराई पर अच्छाई की जीत की बातें करते हुए अपने अपने घरों को लौट जाते है ।

वो युग भगवान् राम का युग था और रावण भी एक था । लेकिन आज, क्या आपको नहीं लगता की असंख्य रावण इस धरा पर घूम रहे है मानव रूप में।

उस रावण में कुछ बुराइयां थी तो कुछ अच्छाइयां भी थी ।


उसने देवी सीता का अपहरण किया लेकिन बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श करने का अपना संकल्प अंत तक निभाया । अहंकारी था लेकिन साथ ही पश्चाताप का भाव भी उसके मन में था । वेद शास्त्र का ज्ञानी था । भगवान शंकर का परम भक्त भी ।

लेकिन आज के मानवरूपी रावणों ने भांति भांति के मुखौटे लगा रखे है, पता ही नहीं चल पाता कि किस चेहरे के पीछे क्या छिपा है ।

अखबारों के पन्ने हत्या, डकैती, बलात्कार, दंगे जैसे समाचारों से भरे होते है।

भाई भाई झगड़ रहे हैं। बहनें सिसक रही है। मित्र अपने ही मित्रों की पीठ में छुरा घोम्प रहे है। भरी भीड़ के सामने समाज कंटक चीरहरण कर रहे है और वहां खड़े लोग सिर्फ इस अत्याचार को होते देख रहे है।

ऐसे में किसी कवि की एक पंक्ति मुझे याद आ रही है । किसने लिखी मैं नहीं जानता लेकिन बात बहुत अच्छी लिखी है।

"राम, तुम्हारे युग का रावण अच्छा था !
दस के दस चेहरे, सब "बाहर" रखता था !!"

दोस्तों मैं इन बातों के माध्यम से सिर्फ ये कहना चाहता हूँ की हमें भी अपने भीतर झाँक के देखना चाहिए कि कोई रावण अपने अंदर भी तो नहीं छुपा हुआ है, अगर है तो शिघ्र अति शिघ्र हम उसका वध करें ऐसा प्रयास हमें करना है ।

कोशिश करें कि रोज हम कम से कम एक अच्छा काम जरूर करें, समाजहित में, देशहित में।

आप सभी को विजयादशमी की अग्रिम शुभकामनाएं ।

जल्दी ही फिर भेंट होगी कुछ नए विचारों के साथ ।

परदेश की दीवाली - Diwali Celebrations of NRI's ke liye yahan click kijiye




***शिव शर्मा की कलम से***

आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।.  Email : onlineprds@gmail.com

धन्यवाद


Note : Images and videos published in this Blog is not owned by us.  We do not hold the copyright.


No comments:

Post a Comment