बेटियां - Daughters
वैसे तो आजकल समाज काफी कुछ जागरूक हो गया है लेकिन देखा गया है की अभी भी कई जगह कई लोग बेटे बेटी में फर्क करते हैं । कई बार शायद हम भी ।
ये एक कटु सत्य है कि लड़के के जन्म पर जहाँ जश्न मनाये जाते हैं, बधाइयां दी जाती है वहीँ कन्या के जन्मने पर हमारे मुंह से ओह की आवाज निकलती है । और दूसरी लाइन अक्सर ये होती है "कोई बात नहीं जी, भगवान् अगली बार लड़का देगा"।
पता नहीं हमारी ये मानसिकता कब बदलेगी, ना जाने वो दिन कब आएगा जब बिटिया के जन्म पर भी हम वही खुशियां, वोही जश्न मनाएंगे जो बेटे के जन्म लेने पर मनाते हैं ।
कब हम बेटियों को पराया धन समझने की बजाय वो रौशनी समझेंगे जो मायके और ससुराल, दो दो घरों में उजाला करती है ।
बेटी शब्द एक ऐसा उजाला है, जिसे शब्दों की परिधि में बांधना एक अनर्थक प्रयास है, और ये जानते हुए भी कि मैं अच्छा कवी नहीं हुं, फिर भी बेटियों के प्रति अपने मन के भावों को एक कविता के माध्यम से आपको समर्पित कर रहा हूं ।
"बेटी"
"वसंत ऋतू की बयार है बेटी,
पायल की मधुर झनकार है बेटी,
पहली बारिश की फुहार है बेटी,
ईश्वर का प्यारा उपहार है बेटी ।
पायल की मधुर झनकार है बेटी,
पहली बारिश की फुहार है बेटी,
ईश्वर का प्यारा उपहार है बेटी ।
चाँद की चांदनी सी शीतल,
ये नदी की धार सी निर्मल,
सागर की लहरों सी चंचल,
ये फूलों की पंखुड़ी सी कोमल,
पतझड़ में आई जैसे बहार है बेटी,
ईश्वर का प्यारा उपहार है बेटी ।
ये नदी की धार सी निर्मल,
सागर की लहरों सी चंचल,
ये फूलों की पंखुड़ी सी कोमल,
पतझड़ में आई जैसे बहार है बेटी,
ईश्वर का प्यारा उपहार है बेटी ।
पिता की फिक्र है इसको,
माँ का है ख़याल इसको,
कब किसको क्या जरुरत,
है इसका ख़याल इसको,
शीतल झरने की धार है बेटी,
ईश्वर का प्यारा उपहार है बेटी ।
माँ का है ख़याल इसको,
कब किसको क्या जरुरत,
है इसका ख़याल इसको,
शीतल झरने की धार है बेटी,
ईश्वर का प्यारा उपहार है बेटी ।
भाई का ध्यान ये रखती,
भाभी का मान ये रखती,
जाती है हो कर विदा तो,
पीहर की शान ये रखती,
खुद में समेटे सारा संसार है बेटी,
ईश्वर का प्यारा उपहार है बेटी ।
भाभी का मान ये रखती,
जाती है हो कर विदा तो,
पीहर की शान ये रखती,
खुद में समेटे सारा संसार है बेटी,
ईश्वर का प्यारा उपहार है बेटी ।
फूलों की सुहानी महक है बेटी,
माँ बाप के चेहरे की चमक है बेटी,
सच मानो, देवी का रूप है बेटी,
सर्दी की सुहानी धुप है बेटी,
बेटा घर का स्तम्भ तो आधार है बेटी
माँ बाप के चेहरे की चमक है बेटी,
सच मानो, देवी का रूप है बेटी,
सर्दी की सुहानी धुप है बेटी,
बेटा घर का स्तम्भ तो आधार है बेटी
ईश्वर का प्यारा उपहार है बेटी ।।"
मित्रों, ईश्वर के इस अनमोल उपहार को सहेज के रखने के लिए हमें खुद भी जागना है और औरों को भी जागरूक करने का प्रयास करना है ।
मेरे विचार आपको कैसे लगे अपनी राय से अवगत कराएं । मुझे इंतजार रहेगा ।
फिर मिलेंगे । जय हिन्द ।।
.....शिव शर्मा की कलम से....
True Sharmaji, Wonderfully Written
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteEdam sahi kaha.... Beti beta Eksaman, tabhi to banega bharat mahan
ReplyDeleteNice article Sharma Ji.....
ReplyDeleteNice Sharmaji...
ReplyDeleteNice sir ji
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