जीवन मृत्यु
किस बात का नाज करे इंसां, किस दम पर तू इतराता है,ऊपर नीली छतरी वाला, सबको नाच नचाता है,
कल का नहीं ठिकाना तेरा, बात करे सौ सालों की
बून्द बून्द जीवन रिसता, और घड़ा रीतता जाता है,
बड़े बड़े राजे महाराजे, आये आकर चले गए,
सदियों की सच्चाई है ये, जो आया वो जाता है,
जीवन मृत्यु
अपनी ताकत के मद में, जो जुल्म करे कमजोरों पर,
औंधे मुंह गिरता है एक दिन, पग पग ठोकर खाता है,
बचपन गया जवानी आई, उड़ने लगा हवाओं में,
भूल गया इसके आगे, निष्ठुर बुढ़ापा आता है,
कितना कुटिल तू कितना कपटी, सबको ठगता रहता है,
झूठे झूठे वादे करता, झूठी कसमें खाता है,
दौलत शोहरत जब सिर चढ़ती, कुछ भी नजर नहीं आता,
जिस रब ने ये दिया सभी कुछ, भूल उसे भी जाता है,
जीवन मृत्यु
मेरा मेरा करते करते, उम्र गुजरती जाती है,
झोली भर माया जोड़ी पर, धेला साथ ना जाता है,
कितनी खरी है सदियों पहले, पुरखों ने जो बात कही,
मुट्ठी बाँध के आने वाला, हाथ पसारे जाता है,
सबको आँख दिखाता रहता, गर्व भरा है बातो में,
सारी उम्र जो रहे अकड़ता, अंत समय पछताता है,
इसीलिए कहता हूं प्यारे अब भी वक्त है संभल जरा,
दया धर्म के काज करो एक साथ ये ही तो जाता है,
मानव जीवन बड़ा कीमती, व्यर्थ इसे तू मत खोना,
भला आदमी मरकर भी, दिल में जिन्दा रह जाता है ।।
जीवन मृत्यु
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जय हिंद
*शिव शर्मा की कलम से***
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Sahe baat
ReplyDeleteWah
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