Saturday 5 December 2015

असुविधा के लिए खेद है - asuvidha ke liye khed hai, Sorry for the interruption

असुविधा के लिए खेद है - Sorry for the interruption


कल मेरे मोबाइल में इंटरनेट तो चालू हो गया था लेकिन ग्राहक सेवा केंद्र में फ़ोन करने से मेरे दिमाग में एक विचार ने जन्म ले लिया ।

आप सब जानते हैं की आज के दौर में हर क्षेत्र में तरक्की बहुत तेजी से हो रही है । आजकल घर बैठे फ़ोन से ही आप काफी काम कर सकते हैं । रेल टिकट, हवाई टिकट, सिनेमा की टिकट यहाँ तक की टैक्सी भी आप फ़ोन पर ग्राहक सेवा केंद्र में फ़ोन करके घर तक मंगवा सकते हैं ।

अभी आप अपने किराणा स्टोर वाले बाबूलाल को फ़ोन करके सामान लिखवा देते हैं, और एक आध घंटे में वो सामान घर पर पहुंचा भी देता है, लेकिन कल्पना कीजिये की उसने भी अति व्यस्तता के कारण ऐसी ही सेवा केंद्र वाली पद्धति शुरू करदी, तो क्या दृश्य होगा ।


असुविधा के लिए खेद है


मान लीजिये आपको आटा चाहिए, और आप जैसे ही अपने किराने वाले को फ़ोन करेंगे उधर से आवाज आएगी, जी हां, वो ही, मधुर सी आवाज ।

"चुलबुल किराणा स्टोर में आपका स्वागत है.... हिंदी के लिए एक दबाएं, फॉर इंग्लिश प्रेस टू, मराठी करितां तीन दाबा..... ।"

आपने हिंदी के चयन के लिए एक दबा दिया तो पहले तो उसका विज्ञापन सुनाई पड़ेगा "भूल जाओ पुराना स्टोर, याद रखो चुलबुल किराणा स्टोर........ टिंग टोंग ।"

और फिर वही मधुर आवाज । "रसोई की सामग्री के लिए एक दबाएं, खाने के लिए तैयार सामग्री के लिए दो दबाएं, सूखे मेवों के लिए तीन दबाएं, डब्बा बंद सामान के लिए चार दबाएं, पिछले मेनू में वापस जाने के लिए नो दबाएं ।"




आपने फिर एक दबा दिया और फिर वही रिकॉर्डिंग शुरू "साबुत अनाज के लिए एक दबाएं, दालों के लिए दो दबाएं, पिसे हुए आटे के लिए तीन, मसालों के लिए चार और पिछले मेनू में वापस जाने के लिए नो दबाएं।"

तब तक आपका माथा भी घूमने लग जाएगा । थोड़ी झुंझलाहट के साथ आप तीन दबाएंगे, ये सोचकर की अब तो आटे वाले प्रतिनिधि से बात हो जायेगी, मगर................ ।

"गेंहूँ के आटे के लिए एक, बाजरे के आटे के लिए दो, मकई के आटे के लिए.......... पिछले मेनू में.......।"

आप भी आधा अधूरा सुन के तुरंत एक दबा देंगे । इस उम्मीद में कि अब गेंहूँ का आटा मिल जायेगा । परंतु चुलबुल भी एकदम पुख्ता होगा तभी तो सही चीज आपके घर पहुंचेगी । उधर से फिर आवाज आएगी ।


असुविधा के लिए खेद है


"घर पे पिसे हुए आटे के लिए एक, चक्की.........." आप ने बिना सुने ही नंबर दो को चुन लिया । क्योंकि आपको चक्की का पिसा आटा चाहिए । लेकिन आप ये ना भूलें कि आप चुलबुल किराणा स्टोर में बात कर रहे हैं । ग्राहकों की पूर्ण संतुष्टि ही जिनका ध्येय है, वो आपको इतनी जल्दी अपने से जुदा थोड़ी ना होने देंगे ।

कर्णप्रिय वाणी फिर गूंजेगी "दस किलो आटे के लिए एक दबाएं, बीस किलो के लिए दो, पचास किलो के लिए तीन, इससे ज्यादा के लिए चार, कम के लिए पांच, पिछले मेनू.........।"

अब तक आप अच्छी तरह पक चुके थे । फिर भी संयम के साथ "शायद उनका आखरी हो ये सितम" की तर्ज पर आपने बीस किलो आटे के लिए दो नम्बर दबा दिया ।

"भूल जाओ पुराना स्टोर, याद रखो चुलबुल किराणा स्टोर........ टिंग टोंग ।" के विज्ञापन के बाद ग्राहक सेवा प्रतिनिधि हाजिर हुआ ।

वही व्यापार और व्यवहार सुलभ आवाज एवं अंदाज लिए।

"श्रीमान, आपका इतना वक्त लेने के लिए हम आपसे क्षमा चाहेंगे । जैसा कि मैं देख रहा हुं आपको बीस किलो आटा चाहिए, मगर श्रीमान, हमें खेद है कि पिछले दो दिन से ट्रक हड़ताल की वजह से हमारे पास का आटे का सारा स्टॉक खत्म हो गया है । पुनः आपसे एक बार क्षमा चाहेंगे । चुलबुल किराणा में फ़ोन करने के लिए धन्यवाद । आपका दिन शुभ हो । नमस्कार ।"


असुविधा के लिए खेद है


अब आपकी स्तिथि खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली हो जायेगी । और आपके कानों में अपने आप ही एक कर्कश ध्वनि सुनाई पड़ने लगेगी ।

"गुस्सा शांत करने के लिए दीवार से सर टकराएं ।ज्यादा क्रोधित हैं तो जोर जोर से चिल्लाएं । अनियंत्रित क्रोधित अवस्था में हैं तो चुलबुल किराणा तक जाएं । मन की शांति के लिए बाबूलाल के एक लगाएं । फ़ोन के कटने वाले बैलेंस की भरपाई के लिए दो लगाएं ।"

उफ्फ.... कल्पना ही अगर इतनी डरावनी है तो फिर असलियत तो क्या होगी ? आपका क्या ख्याल है दोस्तों । बताना ।

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जय हिन्द

....शिव शर्मा की कलम से....








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