नया वर्ष है नई उम्मीदें - Naya Varsh hai Nayi Ummeede
New year Expectations
राष्ट्र को युवाओ से,
किसान को हवाओं से,
व्यापारी को व्यापार से
गरीबो को सरकार से,
सब को परवरदिगार से
कुछ उम्मीदें है।
उम्मीद पर तो टीका ये जहान है,
नित नई उम्मीदो से ही बना इंसान है,
उम्मीद के बिना तो जैसे मनुष्य कंगाल है ।
उम्मीदों की पूंजी है तो मालामाल है,
उम्मीद के सहारे ही मानव
अपना जीवन जीता है,
उम्मीद के दम पर ही तो
लोगों ने जग जीता है।
लोग यहाँ अलार्म लगाकर सोते है
इसी उम्मीद में की चलो कल सुबह जागते है,
उम्मीद अगर दिखा दे कोई यहाँ
तो लोग उसके पीछे भागते है।
उम्मीद दिखाकर नेता चुनाव जीत जाते है,
चुनाव बाद ना कभी अपना चेहरा दिखाते है।
स्वतंत्रता की उम्मीद में ही तो क्रांतीकारीयों ने बन्दुक उठाई थी,
अपनी जान की बाजी लगाई थी,
अंततः आजादी भी पाई थी ।
मोती मिलने की उम्मीद में
गोताखोर ड़ुबकीयां लगाते है,
ना मिलने पर निराश ना होकर
फिर से किस्मत आजमाते है।
कष्ट सहती है नौ महीनों तक इसी उम्मीद में माँ,
की जब आएगी मेरी संतान
जगमग करेगी मेरा जहां।
सैनिक की माँ को उम्मीद है की
इस बार उसका बेटा घर आएगा,
छात्र को उम्मीद है
वो अच्छे अंक लाएगा,
नये साल की सूरज की किरणें
जीवन में नया उजाला लाएगी,
उम्मीद है मुझे
मेरी पहली कविता
आपको पसंद आएगी ।
.....शक्तावत के शब्द .....
दोस्तों, मिलिए इंदौर के निवासी हमारे नए लेखक श्री हितेन्द्र शक्तावत से । मुझे उम्मीद है की आप अपने अनमोल सुझावों और कमेंट्स से इनकी भी हौसला आफजाई करेंगे ।
We are glad to introduce our new writer, Mr. Hitendra Shaktawat, an entrepreneur from Indore. Request all of our viewers to support him. Also request you to give your valuable suggestions / comments.
For Team Hindi General Blogs
Shiv Sharma, Chief Editor
New year Expectations
राष्ट्र को युवाओ से,
किसान को हवाओं से,
व्यापारी को व्यापार से
गरीबो को सरकार से,
सब को परवरदिगार से
कुछ उम्मीदें है।
उम्मीद पर तो टीका ये जहान है,
नित नई उम्मीदो से ही बना इंसान है,
उम्मीद के बिना तो जैसे मनुष्य कंगाल है ।
उम्मीदों की पूंजी है तो मालामाल है,
उम्मीद के सहारे ही मानव
अपना जीवन जीता है,
उम्मीद के दम पर ही तो
लोगों ने जग जीता है।
लोग यहाँ अलार्म लगाकर सोते है
इसी उम्मीद में की चलो कल सुबह जागते है,
उम्मीद अगर दिखा दे कोई यहाँ
तो लोग उसके पीछे भागते है।
उम्मीद दिखाकर नेता चुनाव जीत जाते है,
चुनाव बाद ना कभी अपना चेहरा दिखाते है।
स्वतंत्रता की उम्मीद में ही तो क्रांतीकारीयों ने बन्दुक उठाई थी,
अपनी जान की बाजी लगाई थी,
अंततः आजादी भी पाई थी ।
मोती मिलने की उम्मीद में
गोताखोर ड़ुबकीयां लगाते है,
ना मिलने पर निराश ना होकर
फिर से किस्मत आजमाते है।
कष्ट सहती है नौ महीनों तक इसी उम्मीद में माँ,
की जब आएगी मेरी संतान
जगमग करेगी मेरा जहां।
सैनिक की माँ को उम्मीद है की
इस बार उसका बेटा घर आएगा,
छात्र को उम्मीद है
वो अच्छे अंक लाएगा,
नये साल की सूरज की किरणें
जीवन में नया उजाला लाएगी,
उम्मीद है मुझे
मेरी पहली कविता
आपको पसंद आएगी ।
Click here to read "नाम अगर रख दें कुछ भी" by Sri Pradeep Mane
.....शक्तावत के शब्द .....
Click here to read "शिकायतें" by Sri Shiv Sharma
दोस्तों, मिलिए इंदौर के निवासी हमारे नए लेखक श्री हितेन्द्र शक्तावत से । मुझे उम्मीद है की आप अपने अनमोल सुझावों और कमेंट्स से इनकी भी हौसला आफजाई करेंगे ।
We are glad to introduce our new writer, Mr. Hitendra Shaktawat, an entrepreneur from Indore. Request all of our viewers to support him. Also request you to give your valuable suggestions / comments.
For Team Hindi General Blogs
Shiv Sharma, Chief Editor
Good one, congratulations Hiten.
ReplyDeleteOk
ReplyDeleteसूंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteBahut acche Hitendra
ReplyDeletenice lines
ReplyDelete