TUMHARI YAADE - तुम्हारी यादें
नमस्कार दोस्तों । कल युं ही घर पर बैठा पुराने कागजातों को देख रहा था तो नजर पड़ी सन् 2007 में लिखी इस ग़ज़ल पर, सोचा आपके साथ इसे साझा कर लेता हुं ।
उम्मीद है आपको ये ग़ज़ल भी पसंद आएगी ।
तुम्हारी यादें
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क्या कहुं कितना सताती है तुम्हारी यादें,
हर वक्त तुम्हारी याद दिलाती है तुम्हारी यादें
दिन तो गुजर जाता है जीवन की भागदौड़ में
शाम ढलते ही, आ जाती है तुम्हारी यादें,
यूं तो गुजर जाते है तूफ़ान भी हवा की तरह
पुरवाई चलते ही, आ जाती है तुम्हारी यादें,
बहुत समझाता हुं समझता ही नहीं दिल,
और जरा समझते ही, आ जाती है तुम्हारी यादें,
बदल तो डालूं यादों के इस मौसम को मगर,
मौसम बदलते ही, आ जाती है तुम्हारी यादें,
तन्हाइयों में तो जाहिर है सताती ही रहती है,
महफ़िलें सजते ही, आ जाती है तुम्हारी यादें,
नींद आती नहीं और ख्वाबों पे कब्ज़ा तेरा
आँख लगते ही, आ जाती है तुम्हारी यादें,
लोग कहते हैं "शिव" कुछ लिखा करो,
कलम पकड़ते ही, आ जाती है तुम्हारी यादें ।।
कल फिर एक छोटी सी ग़ज़ल के साथ मिलते हैं दोस्तों ।
जय हिन्द
***शिव शर्मा की कलम से***
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Click here to read "तुम ना बदलना" Written by Sri Shiv Sharma
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Bhaut badhiya
ReplyDeleteLajawab
ReplyDeleteWah
ReplyDeleteधन्यवाद आप सबका
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