सेहत के शत्रु - Sehat ke Shatru
Health problems due to Air and Water Pollution.
बहुत पुरानी कहावत है "पहला सुख निरोगी काया ।" शत प्रतिशत सत्य भी है । अगर शरीर स्वस्थ है तो ही संसार के अन्य सुखों को भोगा जा सकता है । जिसका पेट ख़राब हो उसके लिए तो छप्पन भोग भी बेकार है ।
लेकिन अगर दवा ही मर्ज बन जाए तब आदमी क्या करे? हवा, पानी और भोजन, जो शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है, आज बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं । जहरीली गैसों और धुल मिश्रित हवा में हम सांस लेने को मजबूर हैं ।
बड़े शहरों में तो स्तिथि और भी भयानक है, जहाँ असंख्य मोटर गाड़ियां वायु प्रदुषण के साथ साथ ध्वनि प्रदुषण मुफ़्त में प्रदान करती है । कारखानों का जहरीला धुंआ हवा में अदृश्य दानव के रूप में छुपा रहता है । सुबह से शाम तक ना जाने कितनी सीसा मिश्रित हवा नाक के रास्ते शरीर में घुल जाती है।
ये हवा सांस के साथ मानव शरीर में जा कर फेफड़ों को क्षति पहुंचाती है और दमा एवं टी बी जैसी बीमारियां देती है । ऊपर से कुछ "निडर वीर" इन फेफड़ों को उपहार स्वरुप बीड़ी सिगरेट के धुंए से भी निहाल करते रहते हैं ।
इन्ही वायु प्रदुषण फ़ैलाने वाले कारखानों का अपशिष्ट जब शहर के नालों से होता हुआ नदियों के जल में मिल जाता है तो अमृत तुल्य जल भी एक विष बन जाता है । उस अपशिष्ट के साथ मिले हुए तरह तरह के रसायन पानी के गुणों को नष्ट करने के लिए काफी होते हैं ।
सेहत के शत्रु
ये दूषित पानी हमारे शरीर को कितना नुकसान पहुंचाता है इसका प्रमाण तरह तरह की पेट और आंतों संबंधी बीमारियां दे ही रही है ।
शायद यही कारण है कि आज पानी भी बंद बोतलों में बिक रहा है । अब वो शुद्ध कितना है ये या तो ईश्वर जानता है, या उसको उपलब्ध करवाने वाले निर्माता । परंतु आप और हम उस पानी को गंगाजल जैसा मान देकर खरीदते हैं और पीते हैं ।
इसी प्रदूषित पानी से खेतों में सिंचाई होती है । बरसात का पानी भी अपने साथ हवा में फैले धुल और धुंए के कणों को लेकर बरसता है । उन्ही खेतों से हमें गेंहू, चावल, फल, सब्जियां इत्यादि मिलती है जो जाहिर सी बात है अपने गुणों के साथ साथ कई प्रकार के धीमे जहरों से भी परिपूर्ण होती है ।
ऊपर से कोढ़ में खाज का काम करती है फसलों की पैदावार बढ़ाने वाली दवाइयाँ । जिनसे फसल तो अच्छी खासी मिल जाती है किसान को, लेकिन वे अन्न, दालें, फल या सब्जियां अपने अधिकतम पोषक तत्वों से नाता तोड़ चुके होते हैं ।
सेहत के शत्रु
उपरोक्त समस्याओं से हम काफी हद तक पार भी पा सकते हैं । अगर रोज नियमानुसार सुबह टहलने की आदत डालें और भोर की ताजा हवा अपने फेफड़ों में जाने दें । धूम्रपान की आदत अगर है तो छोड़ें ।
पानी उबालकर और छानकर पियें । बाजार में बिकने वाले और टीवी पर विज्ञापन दिखा कर अपनी और आकर्षित करने वाले ठन्डे पेय पिने से बचें । खाना जहाँ तक हो सके घर का ही खाएं । दूध घी साथ में हो तो सोने पे सुहागा ।
प्रदूषित खानपान जैसे इन स्वास्थ्य के दुश्मनों के अलावा जो हमारी सेहत का सबसे बड़ा शत्रु है, वो है 'चिंता' । हर आदमी को किसी ना किसी प्रकार की चिंता लगी ही रहती है ।
नाना प्रकार की चिंताएं सुरसा के मुंह की तरह फैली हुयी है । जिनमें से कुछेक हो सकती है की किसी कारण वश हो । लेकिन आप अगर गौर करें तो अधिकतर चिंताएं अकारण ही होती है, जो वास्तव में होती नहीं है, बस "कर ली" जाती है ।
इन "कर लेने वाली" चिंताओं से बचने का एक बहुत ही सरल उपाय है, "जो होगा देखा जाएगा" नामक छोटा सा वाक्य । आप तो बस मस्त रहें और स्वस्थ रहें ।
सेहत के शत्रु
गोस्वामी तुलसीदासजी ने भी कहा था ।
"तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोय,
अनहोनी होनी नहीं, होनी हो सो होय ।"
इन्हीं शब्दों के साथ आज आपसे विदा लेता हूँ। कल फिर मिलेंगे ।
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जय हिन्द
...शिव शर्मा की कलम से...
आपको मेरी ये रचना कैसी लगी दोस्तों । मैं आपको भी आमंत्रित करता हुं कि अगर आपके पास भी कोई आपकी अपनी स्वरचित कहानी, कविता, ग़ज़ल या निजी अनुभवों पर आधारित रचनायें हो तो हमें भेजें । हम उसे हमारे इस पेज पर सहर्ष प्रकाशित करेंगे ।. Email : onlineprds@gmail.com
धन्यवाद
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Sharmaji, Really useful blog. Mai request kar raha hun ki one more blog related in this topic, in detail.
ReplyDeleteजरूर । मैं कोशिश करूँगा ।
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