अधूरी आजादी
पिछले दिनों दिल को आहत कर देने वाली जो घटनाएं देश में घटी वो बहुत ही पीड़ादायक और चिंतनीय है । शहीदों ने अपनी शहादत ये दिन देखने को तो नहीं दी थी । उनकी आत्माएं भी सिसक रही होगी ।
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान किस राह पर जा रहा है कुछ समझ पाना भी मुश्किल लगता है । ऐसे में किसी अनजान शायर का एक शेर याद आ रहा है -
"वतन की फिक्र कर नादां, मुसीबत आने वाली है
तेरी बर्बादियों के मशवरे है आसमानों में"
इन्ही घटनाक्रमों ने जब दिल को जख्मी किया तो दिल के जज्बातों को एक कविता का रूप देने की कोशिश मैनें की कि अगर ऐसी ही आजादी है तो फिर तो ये आधी ही है । पूरी तो वो होगी जो शहीदों ने उस वक्त अपने दिलो दिमाग में बसाई थी । आशा है आप इस कविता को भी मेरी अन्य रचनाओं की तरह पसंद करेंगे ।
***अधूरी आजादी***
ईमानदार भूखों मरते हैं चापलूसों के चांदी है
न्याय की खातिर भटकते देखो अब भी कई फरियादी है
आंसू बरसों से बहा रही यहां काश्मीर की वादी है
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
लाज लुट रही बहनों की सोने की चिङीया सिसक रही
सोच सोच थर थर मन कांपे पांव से धरती खिसक रही
मैली मन की गंगा है और सनी खून से खादी है
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
आरक्षण रुपी दानव सुरसा के मुख सा फेल रहा
कुछ लोगों के पागलपन को आम आदमी झेल रहा
दिल्ली तो बेचारी है, भोली है, सीधी सादी है
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
कुछ रुपयों में अफसर बिकते चरम पे भ्रष्टाचार है
ताकतवाले कमजोरों पर कर रहे अत्याचार है
पैसों की ही पवन यहां बस पैसों की ही आंधी है
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
सरहद पर सैनिक की दुश्मन गर्दन काट ले जाता है
देश के भीतर ले बारूद कसाब कोई घुस आता है
चुप रहते हैं हम फिर भी, क्या हम इसके आदी हैं
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
आतंकी आ जाते हैं और कत्लेआम मचा जाते
गीदड़ चार मारने को यहां शेर युं ही मारे जाते
देश सलामत रहे सोच कर अपनी लाश बिछादी है
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
भारत माता कहती है इस देश के पहरेदारों से
मुझे है खतरा मेरे ही आंचल में छुपे गद्दारों से
जब तक ये सब चलता रहेगा ये आजादी आधी है
जब तक ये सब चलता रहेगा ये आजादी आधी है ।।
***भारत माता की जय***
जय हिन्द
***शिव शर्मा की कलम से***
पिछले दिनों दिल को आहत कर देने वाली जो घटनाएं देश में घटी वो बहुत ही पीड़ादायक और चिंतनीय है । शहीदों ने अपनी शहादत ये दिन देखने को तो नहीं दी थी । उनकी आत्माएं भी सिसक रही होगी ।
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान किस राह पर जा रहा है कुछ समझ पाना भी मुश्किल लगता है । ऐसे में किसी अनजान शायर का एक शेर याद आ रहा है -
"वतन की फिक्र कर नादां, मुसीबत आने वाली है
तेरी बर्बादियों के मशवरे है आसमानों में"
इन्ही घटनाक्रमों ने जब दिल को जख्मी किया तो दिल के जज्बातों को एक कविता का रूप देने की कोशिश मैनें की कि अगर ऐसी ही आजादी है तो फिर तो ये आधी ही है । पूरी तो वो होगी जो शहीदों ने उस वक्त अपने दिलो दिमाग में बसाई थी । आशा है आप इस कविता को भी मेरी अन्य रचनाओं की तरह पसंद करेंगे ।
***अधूरी आजादी***
ईमानदार भूखों मरते हैं चापलूसों के चांदी है
न्याय की खातिर भटकते देखो अब भी कई फरियादी है
आंसू बरसों से बहा रही यहां काश्मीर की वादी है
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
लाज लुट रही बहनों की सोने की चिङीया सिसक रही
सोच सोच थर थर मन कांपे पांव से धरती खिसक रही
मैली मन की गंगा है और सनी खून से खादी है
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
आरक्षण रुपी दानव सुरसा के मुख सा फेल रहा
कुछ लोगों के पागलपन को आम आदमी झेल रहा
दिल्ली तो बेचारी है, भोली है, सीधी सादी है
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
कुछ रुपयों में अफसर बिकते चरम पे भ्रष्टाचार है
ताकतवाले कमजोरों पर कर रहे अत्याचार है
पैसों की ही पवन यहां बस पैसों की ही आंधी है
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
सरहद पर सैनिक की दुश्मन गर्दन काट ले जाता है
देश के भीतर ले बारूद कसाब कोई घुस आता है
चुप रहते हैं हम फिर भी, क्या हम इसके आदी हैं
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
आतंकी आ जाते हैं और कत्लेआम मचा जाते
गीदड़ चार मारने को यहां शेर युं ही मारे जाते
देश सलामत रहे सोच कर अपनी लाश बिछादी है
अगर यही है तो सब सोचो ये कैसी आजादी है
भारत माता कहती है इस देश के पहरेदारों से
मुझे है खतरा मेरे ही आंचल में छुपे गद्दारों से
जब तक ये सब चलता रहेगा ये आजादी आधी है
जब तक ये सब चलता रहेगा ये आजादी आधी है ।।
***भारत माता की जय***
Click here to read "गाँव और शहर का जीवन" written by Sri Shiv Sharma
जय हिन्द
***शिव शर्मा की कलम से***
क्या बात है!!
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteSach me adhuri hi h
ReplyDeleteViry nice sir ji
ReplyDeleteधन्यवाद 😊
ReplyDeleteNo any words......
ReplyDeleteAapki Kavita
Har Hindustani ki Atma Ki Awaj Hai...
Thank you sir
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